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क्रिया - कोश
प्राणातिपात को विरतिवाले जीव के आरंभिकी क्रिया कदाचित होती है कदाचित् नहीं होती है । प्रमत्तसंयत के कदाचित होती है और ऊपर के गुणस्थानों में नहीं होती है । प्राणातिपात की विरति वाले जीव के पारिग्रहिकी क्रिया नहीं होती है (यदि परिग्रह से सर्वथा निवृत्त न हो तो सम्यग् प्राणातिपात की विरति घटित नहीं होती है । )
प्राणातिपात की विरतिवाले जीव के मायाप्रत्ययिकी क्रिया कदाचित होती है, कदाचित् नहीं होती है ( क्योंकि अप्रमत्तसंयत के भी कदाचित् प्रवचन-मालिन्य के रक्षणार्थगोपनार्थ माया हो सकती है । )
प्राणातिपात की विरतिवाले जीव के अप्रत्याख्यान तथा मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया नहीं होती /
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इसी प्रकार प्राणातिपात की विरति वाले मनुष्य के संबंध में जानना ।
इसी प्रकार मृषावाद यावत् मायामृषावाद की विरति वाले जीव और मनुष्य के विषय में जानना ।
मिथ्यादर्शनशल्य विरति वाले जीव के आरंभिकी क्रिया, पारिग्रहिकी क्रिया तथा मायाप्रत्ययिकी क्रिया कदाचित होती है कदाचित् नहीं होती ; लेकिन मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया नहीं होती है ।
मिथ्यादर्शनशल्य की विरति वाले नारकी के आरंभिकी क्रिया यावत् अप्रत्यख्यान क्रिया होती है; मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया नहीं होती है ।
नारकी की तरह असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों के सम्बन्ध में जानना ।
मिथ्यादर्शनशल्य की विरति वाले पंचेन्द्रिय तिर्यचयोनिक जीव के आरंभिकीपारिग्रहिकी मायाप्रत्ययिकी क्रिया होती है; अप्रत्याख्यानक्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं होती है । मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया नहीं होती है !
जैसा औधिक जीव का कहा वैसा मनुष्य के सम्बन्ध में जानना । जैसा नारकी के सम्बन्ध में कहा वैसा वाणव्यतर- ज्योतिषी वैमानिक देवों के संबंध में जानना ।
'६५७ आरम्भिकी क्रियापंचक और जीवों में क्रिया-समानता :*६५७१ नारकी जीवों में :--
(क) नेरइया णं भंते! सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! नो इण सम | से ट्टणं भंते! एवं वुश्चइ-नेरइया नो सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! नेरइया तिविहा पन्नत्ता, तंजहा - सम्मदिट्ठी मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्टी । तत्थ णं जे ते सम्म - दिट्ठी तेसि णं चत्तारि किरियाओ कज्जंति, तंजहा- आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपश्चक्खाण किरिया । तत्थ ण जे ते मिच्छदिट्ठी जे य सम्भामिच्छदिट्ठी
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