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________________ क्रिया-कोश (घ) संवुडस्स णं भंते! अणगारस्स अवीयीपंथे ठिचा पुरओ रुवाइ निकायमाणस्स — जाव - तस्स णं भंते! किं इरियावहिया किरिया कजइ (संपराइया किरिया कज्जइ ) ? पुच्छा, गोयमा ! संबुड ( स ) - जाव - तरस णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो संपराझ्या किरिया कज्जइ ? १३४ सेकेट्टणं भंते! एवं वुश्च्चइ जहा सत्तमे सए सत्तमोद्देसए- - जाव- से णं अहासुत्तमेव रीयइ सेतेाट्टेणं-जाव - नो संपराश्या किरिया कज्जइ । -भग० श १० । २ । प्र २ । पृ० ६१४ अवीचिमार्ग में स्थित — अकषायभावमें स्थित अकषायभावसे सामने यावत् नीची रूपी वस्तुओं को अवलोकन करते हुए संवृत्त अणगार को ऐर्यापथिकी क्रिया होती है, सांपरायिकी क्रिया नहीं होती है । क्योंकि जिसके क्रोध मान-माया-लोभ व्युच्छिन्न---- क्षीण हो गये हैं उसके ऐर्यापथिकी क्रिया होती है, सांपरायिकी क्रिया नहीं होती है । सूत्रानुसार चलते हुए साधु को ऐर्यापथिकी क्रिया होती है, सूत्र के विपरीत चलते हुए साधु को सांपरायिकी क्रिया होती है । जो संवृत्त अणगार सूत्रानुसार चलता है उसके राग-द्वेष क्षीण हो गये हैं । अतः यह कहा गया है कि अकषाय भावमें अवस्थित संवरित अणगार के ऐर्यापथिकी क्रिया होती है, सांपरायिकी नहीं होती है । (च) अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणी पुरओ दुहओ जुगमायाए पेहाए रीयं रीयमाणस्स पायस्स अहे कुक्कुडपोए वा वट्टापोए वा कुलिंगच्छाए वा परियावज्जेज्जा, तस्स णं भंते! किं इरियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! अणगारस्स णं भावियप्पणो- जाब तरस णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ । सेकेणणं भंते! एवं वुञ्चइ ? जहा सत्तमसए संबुडुद्दे सए - जाव - अ - अट्ठो निक्खित्तो । -भग० श १८ । ८ । प्र १ । पृ० ७७६ अगल-बगल युगप्रमाण भूमि को देखकर गमन करते हुए भावितात्मा अणगार के पैर के नीचे यदि मुर्गी का बच्चा अथवा बतख का बच्चा अथवा चींटी तथा चींटी का अंडा आदि सूक्ष्म जन्तु आकर यदि परिताप- कष्ट - मरण को प्राप्त होवे तो उस अणगार की ऐयपथिकी क्रिया होती है, सांपरायिकी क्रिया नहीं होती है क्योंकि जिसके क्रोध मानमाया- लोभ व्युच्छिन्न हो गये हैं उसके ऐर्यापथिकी क्रिया होती है, सांपरायिकी क्रिया नहीं होती है । --- सूत्रानुसार चलते हुए साधु को ऐर्यापथिकी क्रिया होती है; सूत्र के विपरीत चलते हुए साधु को परायिकी क्रिया होती है। जो अनगार सूत्र विरुद्ध चलता है उसके राग " Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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