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क्रिया - कोश
हंदू
प्रयोगक्रिया की एकरूपता से गृहीत कर्मवर्गणाओं का सम्यक् रूप से देशसर्वोप
धाति रूप से - आदान—स्वीकरण समुदानक्रिया । *४१३३ अज्ञान क्रिया
अज्ञानात् वा चेष्टा कम्मे वा सा अज्ञानक्रियेति ।
-- ठाण० स्था ३
अज्ञान से जो कर्म अथवा चेष्टा हो वह अज्ञानक्रिया |
४२ अज्ञानक्रिया ( अक्रिया का भेद )
४२१ परिभाषा / अर्थ
अज्ञानम् -- असम्यग्ज्ञानमिति, अक्रिया हि अशोभना क्रियैवातोऽक्रिया | xxx अज्ञानात् वा चेष्टा कर्म वा सा अज्ञानक्रियेति ।
उ २ । सू १८७ । टीका
-- ठा० स्था ३ । ३ । सू १८७ । टोका असम्यग्ज्ञान-अज्ञान । अज्ञान में जो कर्म अथवा चेष्टा हो वह अज्ञानक्रिया है ।
४२.२ भेद
अण्णाणकिरिया तिविहा पन्नत्ता, तंजहा मइअण्णाणकिरिया, सुयअण्णाणकिरिया विभंगअण्गाणकिरिया । - ठाण० स्था ३ । उ ३ । सू. १८७ । पृ २१६ अज्ञानक्रिया के तीन भेद होते हैं, यथा-मतिअज्ञानक्रिया, श्रुतअज्ञान क्रिया, तथा विभंगअज्ञानक्रिया ।
४२३ भेदों की परिभाषा / अर्थ
*४२३१ मतिअज्ञानक्रिया-
'अन्नागकिरिय' त्ति अविसेसिया मश्चिय सम्मद्दिट्ठिस्स सा मइन्नाणं । म अन्नाणं मिच्छादिट्टिश्स सुयंपि एमेव ॥ १॥ ति । मत्यज्ञानात् क्रिया- अनुष्ठानं मत्यज्ञानक्रिया एवमितरे अपि । - ठाण० स्था ३ । उ ३ । सू १८७ । टीका सम्यष्टि वाली मति अर्थात् मतिज्ञान | मिथ्यादृष्टि वाली मति मतिअज्ञान हुआ । मतिअज्ञान अर्थात् मिध्यादृष्टि वाली मति द्वारा की गई क्रिया मतिअज्ञान क्रिया है । *४२३२ श्रुतअज्ञान क्रिया
अन्नाणं मिच्छादिट्टिश्स सुर्यपि एमेव ।
- ठाण० स्था ३ । ३ । सू १८७ । टीका । मतिअज्ञान अर्थात् मिथ्यादृष्टि वाली मति से होने वाली मतिअज्ञान क्रिया की तरह ही श्रुतअज्ञान से होने वाली क्रिया भुतअज्ञान क्रिया होती है। I
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