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________________ ६४ क्रिया - कोश मिथ्यात्व आदि से उपहत की अमोक्षसाधक अनुष्ठानरूप दुष्टक्रिया अक्रिया है । इसी प्रकार मिथ्यादृष्टि का विनय अविनय किया है। मिथ्यादृष्टि का ज्ञान अज्ञानक्रिया है । ४१ अक्रिया ( दुष्प्रयुक्तक्रिया ) '४११ परिभाषा / अर्थ 'अकिरिय' त्ति नहि दुःशब्दार्थो यथा अशीला दुःशीलेत्यर्थः, ततश्चाक्रिया -- दुष्टक्रिया मिध्यात्वाद्युपहतस्यामोक्षसाधकमनुष्ठानम्। -- ठाण० स्था ३ । उ ३ । सू १८७ । टीका यहाँ नकारात्मक 'अ' उपसर्ग दुःशब्द का द्योतक है जैसे अशील को दुःशील कहा जाता है अतः अक्रिया अर्थात् मिथ्यात्व आदि से उपहत व्यक्ति का मोक्षसाधक अनुष्ठान-दुष्टक्रिया अर्थात् अक्रिया । ४१२ भेद अकिरिया तिविहा पन्नत्ता, तंजहा - पओगकिरिया, समुदानकिरिया, अन्नान किरिया । ठाण० स्था३ । ३ । सू १८७ पृ० २१५ अक्रिया के तीन भेद होते हैं, यथा प्रयोगक्रिया, समुदानक्रिया तथा अज्ञानक्रिया । *४१३ भेदों की परिभाषा / अर्थ ४१.३१ प्रयोगक्रिया तत्र वीर्यान्तरायक्षयोपशमाविर्भूतवीर्येणात्मना प्रयुज्यते - व्यापार्यत इति प्रयोगो - मनोवाक्कायलक्षणस्तस्य क्रिया -- करणं व्यावृतिरिति प्रयोगक्रिया, अथवा प्रयोगः - मनःप्रभृतिभिः क्रियते - बध्यत इति प्रयोगक्रिया कर्मेत्यर्थः, सा च दुष्टत्वादक्रिया । - ठाण० स्था ३ । उ ३ । सू १८० । टीका वीर्यान्तराय कर्म के क्षयोपशम से उद्भुत वीर्य से आत्मा जो व्यापार करती प्रयोग है । मन, वचन, काय का प्रयोग प्रयोगक्रिया | दुष्टत्व से प्रवर्त्तित प्रयोग क्रिया प्रयोग अक्रिया । वह ४१३२ समुदानक्रिया- 'समुदाणं' ति प्रयोगक्रिययैकरूपतया गृहीतानां कर्मवर्गणानां समितिःसम्यक् प्रकृतिबन्धादिभेदेन देशसर्वोपघातिरूपतया च आदानं - खीकरणं समुदान निपातनात्तदेव क्रिया-कर्मेति समुदानक्रियेति । - ठाण० स्था ३ । उ ३ । सू १८८७ । टीका "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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