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________________ अन्य वर्गीकृत उपविषयों में उक्त पाठ दिया गया है उस स्थल को मूल पाठ को बार-बार उद्धृत न करके जहाँ समूचा मूल इंगित कर दिया है । ( देखें विषयांक ४८४ ) 'लेश्याकोश' की तरह 'क्रियाकोश' को भी हमने १० मूल विभागों में विभक्त किया है । क्रियाकोश के मूल विभाग किया है और उनको फिर १०० विभागों में विभक्त इस प्रकार हैं : ० शब्द विवेचन १ से ६ विभिन्न कियाओं का विवेचन ७ सदनुष्ठान क्रिया ८ जीव और किया ६ क्रिया और विविध विषय ६६ क्रिया सम्बन्धी फुटकर पाठ शब्द विवेचन का विभाजन निम्न प्रकार से हुआ ० शब्द विवेचन ( मूलवर्ग ) ०१ शब्द व्युत्पत्ति - प्राकृत, पाली, संस्कृत भाषाओं में .०२ क्रिया शब्द के पर्यायवाची शब्द ०३ क्रिया शब्द के विभिन्न अर्थ ०४ सविशेषण - ससमास - सप्रत्यय क्रिया शब्दों की सूची और परिभाषा ०५ परिभाषा के उपयोगी पाठ • ०६ प्राचीन आचार्यों द्वारा की गई किया की परिभाषा ०७ क्रिया के भेद ०८ क्रिया पर विवेचन गाथा ०६ क्रिया का नय और निक्षेपों की अपेक्षा विवेचन कर्मबंधनिबंधभूता किया का विषयांकन हमने १२२२ किया है । इसका आधार यह है कि सम्पूर्ण जैन वाङ्मय को १०० विभागों में विभाजित किया गया है । ( देखें मूल वर्गीकरण सूची पृ० १४-१६) । इसके अनुसार कर्मवाद का विषयांकन १२ है । कर्मवाद को भी १०० भागों में विभक्त किया गया है । ( देखें कर्मवाद वर्गीकरण सूची पृ० १७ ) इसके अनुसार क्रिया का विषयांकन २२ होता है अतः कर्मबन्धनिबन्धभूता क्रिया का विषयांकन हमने १२२२ किया है। सदनुष्ठान क्रिया का विषयांकन हमने १३०१ किया है । इसका आधार इस प्रकार है- जैन वाङ्मय के मूलवर्गीकरण में क्रियावाद का विषयांकन १३ है । क्रियावाद के उपवर्गीकरण में सदनुष्ठान क्रिया का विषयांकन ०१ है अतः सदनुष्ठान क्रिया का विषयांकन १३०१ किया है । [ 11 ] "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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