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________________ क्रिया-कोश आशापनिका | आनायनिका क्रिया के दो भेद होते हैं, यथा--जीवआशापनिका | जीवआनायनिका तथा अजीव आज्ञापनिका | अजीव आनायनिका। '२६ ३ भेदों की परिभाषा अर्थ १ जीव-आज्ञापनिका : जीव-आनायनिका जीयमाज्ञापयत अनाययतो वा परेण जीवाज्ञापनी जीवानायनी वा। -ठाण० स्था २। उ १ । सू ६० । टीका जीव के आशा करने अथवा लाने के निमित्त से होने वाली अर्थात् दूसरे द्वारा जीव को आज्ञा करने अथवा लाने के निमित्त से होने वाली क्रिया जीवाशापनिका / जीवआनायनिका क्रिया कहलाती है । '२ अजीव-आज्ञापनिका | अजीव आनायनिका-- एवमेवाजीवविषया अजीवाऽऽज्ञापनी अजीवानायनी वेति । -ठाण० स्था २ । उ १ । सू ६० । टीका इसी प्रकार अजीव से सम्बन्धित अजीव-आज्ञापनिका अथवा अजीव-आनायनिका क्रिया होती है। .३० चैदारणिकी । वैचारणिकी क्रिया '३०१ परिभापा अर्थ (क) 'वेयारणिया चेव' त्ति विदारणं विचार वितारणं वा स्वार्थिकप्रत्ययोपादानाद् वैदारिणीत्यादि वाच्यमिति । ठाण० स्था २ । उ १ । सू ६० । टीका (ख) पराचरिताप्रकाशनीयसावधप्रकाशीकरणं विदारणक्रिया! भापाद्वयाभिज्ञः पुण्यो यथैकं विचारयति अर्हत्प्रणीताझोल्लंघनेन वमनीपया जीवितादिपदार्थप्ररूपणं (वा) -सिद्ध० अ६ । सू ६ । पृ० १३ (ग) पराचरितसावद्यादिप्रकाशनं विदारणक्रिया । __-- मर्व अ६ । सू ५ । पृ० ३२२ । ला ६ घ) आल याद्वा प्रशस्तक्रियाणामकरणं पराचरितसावद्यादिप्रकाशनं विदारणकिया। -राज° अ६ । सू ५ । पृ० ५१० । ला ६-७ (ङ) पराचित सावधप्रकाशनमिह स्फुटम् । विदारण क्रिया त्वन्या स्यादन्यत्र विशुद्धितः ।। श्लोवा० अ६ । सू ५। गा १६ । पृ० ४४५ किसी चीज को फाड़ने से या विचारने से अथवा दूसरों के द्वारा की गई सावधादि "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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