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________________ क्रिया - कोश राजा आदि की आज्ञा से यंत्रादि को सहायता से जल के उत्क्षेपण अथवा गुरु आदि के समीप शिष्य अथवा पुत्र को ( शिक्षार्थ ) छोड़ने के निमित्त से उत्पन्न होने वाली क्रिया जीवसृष्टिकी क्रिया कहलाती है । २ अजीवनेसृष्टिकी- यत्तु काण्डादीनां धनुरादिभिः निसर्जन ) सा अजीव नैसृष्टिकीति, xxx अथवा ( गुर्व्वादौ ) अजीवं पुनरेषणीय भक्तपानादिकं निस्सृजतो - ऽत्यजतः अन्येति । ठाण० स्था २ । उ १ । सू ६० । टीका धनुष आदि द्वारा वाणादि फेंकने के निमित्त से होने वाली अथवा गुरु आदि को शुद्ध भक्त पानादि का दान देने के निमित्त से होनेवाली क्रिया अजीव सृष्टिकी क्रिया कहलाती है । *२६ आज्ञापनिका / आनायनिका क्रिया *२६१ परिभाषा / अर्थ (क) 'आणवणिया चेव' त्ति आज्ञापनस्य - आदेशनस्येयमाज्ञापनमेव वेत्याज्ञापनी सैवाज्ञापनिका तज्जः कर्मबन्धः, आदेशनमेव वेति, आनायनं वा आनायनी । -- ठाण० स्था २ । उ १ । सू ६० । टीका (ख) स्वयं (आ) नयनक्रिया अन्यैर्वाऽऽनायनं स्वच्छन्दतो (आ) नयनक्रिया ! -- सिद्ध० अ ६ । सू ६ । पृ० १३ (ग) यथोक्ताभाज्ञामावश्यकादिषु चारित्रमोहोदयात् कर्तुमशक्नुवतोऽन्यथा प्ररूपणात् आज्ञाव्यापादिका (की) क्रिया । ७७ सर्व० अ ६ । सू ५ । पृ० ३२२ । ला ६-१० - राज० अ ६ । सू ५ / ० ५१० । ला ७-८ ख्यातामहदाज्ञामुपासितुम । (घ) आवश्यकादिषु अशक्तस्यान्यथा ख्यानादाज्ञाव्यापादिकी क्रिया ।। श्लोवा० अ ६ | सू५ । गा २० पृ० ४४५ आज्ञापन अर्थात् आदेश करने से जो क्रिया हो वह अथवा आज्ञा- हुक्म देने से जो कर्मबन्ध हो अथवा कोई वस्तु मँगवाने के निमित्त से जो कर्मबन्ध हो अथवा कोई वस्तु मँगवाने के निमित्त से जो क्रिया हो वह आज्ञापनिका / आनायनिका क्रिया होती है । २६२ भेद जव सत्थियाओ (आणवणिया किरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा- जीवआणवणिया चेव अजीव आणवणिया चेव ) । -ठाण० स्था २ । उ १ । सू. ६० | पृ० १८६ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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