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क्रिया-कोश २३ दृष्टिका क्रिया २३.१ परिभाषा / अर्थ
क) 'दिट्ठिया चेव' त्ति दृष्टे र्जाता दृष्टिजा अथवा दृष्टं ---दर्शनं वस्तु वा निमित्ततया यस्यामस्ति सा दृष्टिका - दर्शनार्थ या गतिक्रिया, दर्शनाद् वा यत्कर्मोदेति सा दृष्टिजा दृष्टिका वा।
-ठाण० स्था २ । उ १ । सू ६० । टीका (ख) रागाीकृतत्वात् प्रमादिनः रमणीयरूपालोकनाभिप्रायो दर्शनक्रिया।
-सर्व० अ६ ! सू ५ । पृ० ३२२ । ला ४-५
-राज० अ६ । सू ५ । पृ० ५०६ । ला ३४-३५ (ग) रागाद्रस्य प्रमत्तस्य सुरूपालोकनाशयः स्यादर्शनक्रिया।
-श्लोवा० अ६ । सू ५ । गा १२ । पृ० ४४५ दृष्टि से उत्पन्न 'दृष्टिजा' अथवा वस्तु को देखने के निमित्त से जो क्रिया होती है वह दृष्टिका--दर्शन के लिये जो गति को जाय, दर्शन से या दर्शन के लिये जो क्रिया होती है वह दृष्टिजा अथवा दृष्टिका । '२३.२ भेद
(क दिट्टिया किरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा जीवदिट्टिया चेव अजीवदिहिया चेव ।
-ठाण ० स्था २ । उ १ ! सू ६० 1 पृ० १८६ (ख) दर्शनक्रिया द्विधा जीवाजीवविषयत्वात् ।
—सिद्ध० अ६ । सू ६ । पृ० १२ दृष्टिका क्रिया के दो भेद होते हैं, यथा जीव ष्टिका तथा अजीयदृष्टिका । २३.भेदों की परिभाषा । अर्थ
१ जीवदृष्टिका क्रिया
(क) जीवदिठ्ठिया चेव' त्ति या अश्वादिदर्शनार्थ गच्छतः (या सा जीवदृष्टिकेति)।
-ठाण० स्था २ । उ १ ! सू ६० । टीका (ख) तत्र प्रमादिनो नृपनिर्याणप्रवेशस्कन्धावारसन्निवेशनटनर्तकमल्लमेषवृषयुद्धादिष्वालोकनादरो यः सा जीवधिपया शिक्रिया।
--सिद्ध० अ६ । सू ६ पृ० १२ अश्वादि सजीव प्राणियों को देखने के लिए जाने की क्रिया जीवट ष्टिका क्रिया होती है।
सिद्धसेनगणि के अनुसार राजा के राजमहल से बाहर निकलते अथवा उसमें प्रवेश करते समय उसके निकट नट, नर्तक, मल्ल, मेष, वृष आदि के युद्ध वगैरह को देखने की
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