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क्रिया कोश तीव्र इच्छा अथवा चेष्टा करना जीव सम्बन्धी दृष्टिका अर्थात् जीवदृष्टिका क्रिया कहलाती है ।
.२ अजीवदृष्टिका क्रिया-..
(क) 'अजीवदिहिया चेव' त्ति अजीवानां चित्रकर्मादीनां दर्शनार्थ गच्छतो या सा अजीवष्टिकेति ।
ठाण० स्था २ । उ १ । सू ६० । टीका (ख) देवकुलसभाप्रपोदकाशपत्रपुस्तकाद्यालोकनलक्षणा रागाचेतसो ऽजीवविषया दर्शनक्रिया ।
-~-सिद्ध अ६ । सू६ । पृ० १२ अजीव पदार्थों, यथा--चित्रकर्म आदि को देखने के लिये जाने की क्रिया को अजीव-दृष्टिका क्रिया कहते हैं।
२४ पृष्टिका | पृष्टिका क्रिया '२४ १ परिभाषा / अर्थ
(क) पुट्ठिया चेव'त्ति पृष्टि:...पृच्छा ततो जाता पृष्टिजा प्रश्नजनितो व्यापारः, अथवा पृष्टं प्रश्नः वस्तु वा तदस्ति कारणत्वेन यस्यां सा पृष्टिकेति, अथवा स्पृष्टिः स्पर्शनं ततो जाता स्पृष्टिजा, तथैव स्पृष्टिकाऽपीति ।
ठाण स्था २ । उ १ । सू ६० । टीका (ख) प्रमादवशात् स्पृष्टव्यसंचेतनानुबन्धः स्पर्शनक्रिया।
-सर्व० अ०६ ! सू५ । पृ० ३२२ ला ५-६
----राज. अ ६ । सू ५ 1 पृ० ५०६ । ला ३५ (ग) स्पर्श स्पृष्टधीः स्पर्शनक्रिया।
-श्लोवा० अ६ । सू ५ । गा १२ । पृ० ४४५ ठाणांग टीकाकार ने 'पुट्टिया' के पृष्टि तथा स्पृष्टि की दृष्टि से पृष्टिजा, पृष्टिका, स्पृष्टिजा तथा स्पृष्टिका ये चार अर्थ ग्रहण किये हैं। पुट्ठिया अर्थात् प्रश्न से उत्पन्न होनेवाली क्रिया अथवा प्रश्न के निमित्त से होनेवाली क्रिया पृष्टिजा-पृष्टिका ।
पुट्ठिया अर्थात् स्पर्श से उत्पन्न होने वाली क्रिया अथवा स्पर्श के निमित्त से होने वाली क्रिया स्पृष्टिजा-स्पृष्टिका ।। २४२ भेद
(क) एवं पुट्ठियावि (पुट्ठिया किरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा--जीवपुट्टिया चेव अजीवपुट्टिया चेव )।
- ठाण. स्था २ । उ ६ । सू ६० । पृ० १८६ (ख) स्पर्शनक्रिया द्विविधा-जीवाजीवभेदात् ।
-सिद्ध० अ६ । सू६ । पृ० १२
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