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क्रिया-कोश २२ ५ प्रााण तिवात क्रिया और कर्मप्रकृति का बंध :
जीवे vi भंते ! पाहावारण कर कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अविहबंधए वा ! एवं गेरवाए जाव निरंतरं वेमाणिए ।
जीवा गं भंते ! पाणाइवाए का कम्मरगडीओ बंधइ ? गोयमा! सत्तविहबंधगा वि अकृविहबंधगा वि । नेर या गं भंते ! पाणावाएणं कइ कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! सव्वे वि नाव होना सत्तविहबंधगा. अहवा सत्तविहबंधगा य अठविहबंधए य, अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य !
एवं असुरकुमारा वि जाव थणियकुमारा।
पुढविआउते वा उवणस्सइकाइया य एए सब्वे वि जहा ओहिया जीवा, अवसेसा जहा नेरच्या एवं प्रा. जीवेगिदियबाजा तिण्णि तिण्णि भंगा सव्वत्थ भाणियव्व त्ति।
-पण्ण प २२ । सू १५८१-४ । पृ० ४७६.८० ____ जीव प्राणातिपात { क्रिया) द्वारा सात कर्मप्रकृति बांधता है या आठ कर्मप्रकृति बांधता है । इसी प्रकार नारकी से लेकर वैमानिक तक ( एकवचन की अपेक्षा ) जानना । जिस समय आयुष कर्म का बंधन नहीं होता तव सात कर्मप्रकृति का बंधन होता है तथा जव आयुष कर्म का भी बंधन होता है तब आठ कर्म प्रकृति का बंधन होता है ।
जीवों की अपेक्षा अनेक जीव प्राणातिपात ( क्रिया) द्वारा सात कर्मप्रकृति बांधते हैं अनेक जीव आठ कर्मप्रकृति बांधते हैं ।
नारकियों की अपेक्षा--(१)- सर्वनारको जीव सात कर्मप्रकृति बांधते हैं या (२) कोई एक आठ कर्मप्रकृति बांधता है तथा शेष सब मात कर्म प्रकृति बांधते हैं, (३) या अनेक नारकी सात कर्मप्रकृति बांधते हैं तथा अनेक आठ कर्मप्रकृति बाँधते है।
नारकियों की तरह असुरकुमारों से यावत् स्तनितकुमारों तक जानना । एकेन्द्रिय जीवों के सम्बन्ध में औधिक जीवों की तरह जानना।
अवशेप दंडक के जीवों को बहुवचन की अपेक्षा नारकियों की तरह जानना । जीव और एके न्द्रिय जीवों को बाद देकर सभी के तीन-तीन भंग विकल्प जानना । दंडक अर्थात (१) सभी सात कर्मप्रकृति बांधते हैं, (२) या कोई एक आठ कर्मप्रकृति बांधता है तथा शेष सब सात कर्मप्रकृति वांधते हैं, (३) या अनेक सात तथा अनेक आठ कर्मप्रकृति बांधते हैं ।
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