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क्रिया-कोश
द्रव नहीं उपजाना चाहिए। यह अहिंसाधर्म ध्र व, नित्य, शाश्वत है जो खेदज्ञों, सर्वज्ञों, तीर्थकर भगवानों ने सर्वलोक के स्वभाव को जानकर प्रतिपादन किया है !
[ ऐसे धर्म को जानकर भिक्षु प्राणातिपात यावत् मिथ्यादर्शनशल्य से विरत हो, निवृत्त हो तथा वह भिक्षु दन्त प्रक्षालन से दाँत परिष्कार नहीं करे ; अंजन, वमन, विरेचन आदि क्रियाएँ न करे ; वस्त्रादि को धूप न दे। वह भिक्षु अक्रिय, अहिंसक, पड़ जीवनिकाय का रक्षक, क्रोध-मान-माया-लोभ रहित, उपशान्त, समाधिवन्त परिनिवृत्त होता है। ]
ऐसे भिक्षु को भगवान ने संयत, घिरत, पापकर्म का प्रत्याख्यान करने वाला, अक्रिय, संवृत्त, एकांतपंडित कहा है ।
(झ) अप्रत्याख्यान क्रिया और दृष्टान्त :..... (क) मलयगिरि
अस्य चेयं पूर्वाचार्योपदर्शिता भावना---'इह संसार-अडवीए परिव्भमंतेहिं सव्वजीवेहिं तेसु तेसु ठाणेसु सरीरोवहाइणो विष्पमुक्का तेहि य सत्थभूएहि जया कासइ स्वतः परितापनादयो भवंति तया तस्सामिणो भवंतरगयस्सवि तत्रानिवृत्तत्वात् किरियासंभव इति, व्युत्सृष्टेषु तु न भवति निवृत्तत्वात्, एत्थ उदाहरणं-वसंतपुरे णयरे अजियसेणस्स रण्णो पडिचारगा दुवे कुलपुत्तगा, तत्थेगो समणसट्टो इयरो मिच्छदिट्टि, अण्णया रयणीए रणो निस्सरण संभमतुरंताण तेसिं घोडगारूढाणं खग्गा पटभट्टा, सण जणकोलाहलो मग्गिओ न लहइ, इयरेण हसियं-किम्मणं ण होहि ? सण अहिगरणंति कट्टु वोसिरियं, इयरे च खम्गम्गाहिणो बंदिग्गहसाहसिएहिं लद्धा, गहिओ अण्णेहिं रायवल्लहो पलायमाणो वावाइओ, तओ आरक्खिएहिं गहिऊग रायसमीवं नीया, कहिओ वुत्तंतो, कुविओ राया, पुच्छियं चणेणकस्स तुभे ? तेहिं कहियं-अगाहा, कल्लं चिय, कप्पडिया, एए तुम्ह खम्गा कहिं लद्धत्ति, पुच्छिएहिं कहियं पडिया इति, तओ सामरिसेण रणा भणियं-गवेसह तुरियं मम अणबद्धवेरिणं ईसरपुत्ताणं महापमत्ताणं केसि इमे खग्गेत्ति ?, तओ तेहिं निउणं गवेसिऊग विण्णत्तं रणगो-सामि ! गुणचंदबालचंदाणमिति, ततो रण्णा पिह पिहं सद्दावेऊण भणिया-- लेह नियखग्गे, एक्केणगहियं, पुच्छिओ रण्णा कहं ते पणट्ठति ? तेण कहियं जहावित्तं, कीस न गविट्ठ? भगइ सामि ! तुम्ह पसाएण एदहमेत्तमवि गवेसामि ? सड्ढो नेच्छइ, रणगा! पुच्छिओ-कीस न गेण्हसि ? तेण भणियं-सामि ! अम्हाणमेस ठिई चेव नस्थि जमेवं गेण्हिज्जइ अगिरणत्तणओ, परं संभमेण मगंतेण वि न लद्धंति वोसिरियं अतो न कप्पर मे गिहिउ, तओ रण्णा पमायकारी अणुसासिओ, इयरो विमुक्को, एस दिट्ठतो इमो य से अत्थोवणओ
"Aho Shrutgyanam"