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________________ क्रिया-कोश मायाप्रत्ययिकी क्रिया करता हुआ जीव उसी प्रकार कर्मप्रकृति का बंध करता है, जैसे प्राणातिपात क्रिया करता हुआ जीव कर्मप्रकृति का बंध करता है । ( देखी क्रमांक २२५) । ४२ १६ अप्रत्याख्यान क्रिया * १६१ परिभाषा / अर्थ (क) अप्रत्याख्यानम् - अविरतिस्तन्निमित्तः चाविरतानां भवतीति । कर्मबन्धोऽप्रत्याख्यानक्रिया सा - ठाण० स्था २ । उ १ । सू ६० | टीका (ख) 'अपचक्खाण किरिय' त्ति प्रत्याख्यानक्रियाया अभाव:, अप्रत्याख्यानजन्यो वा कर्मबन्धः । - भग० श १ | उ ६ । ३०१ | टीका अप्रत्याख्यातं - मनागपि विरतिपरिणामा-- पण ० प २२ । सू १६२५ । टीका (घ) संयमविघातिनः कषायाद्यरीन् प्रत्याख्येयान् न प्रत्याचेष्ट इत्यप्रत्याख्यान- सिद्ध० अ ६ । सू ६ | पृ० १३ क्रिया । संयमघातिकर्मोदयवशादनिवृत्तिरप्रत्याख्यानक्रिया | (ग) अपचक्खाण किरिया' इति भावस्तदेव क्रिया अप्रत्याख्यानक्रिया । - सर्व ० अ ६ । सू ५ / पृ० ३२३ । ला ३ -राज० अ ६ । सू५ । पृ० ५१० । ला १३-१४ (च) वृत्तमोहोदयात्पुंसामनिवृत्तिः कुकर्मणः । अप्रत्याख्या क्रियेत्येताः पंच पंच क्रियाः स्मृताः ॥ - श्लोवा० अ ६ / सू५ । गा २६ | पृ० ४४६ अप्रत्याख्यान अर्थात् प्रत्याख्यान का अभाव, विरति का अभाव । जहाँ किंचित् भी विरति परिणाम का अभाव हो वहाँ अप्रत्याख्यानक्रिया होती है । यह क्रिया अविरतियों के होती है । '१६२ भेद अपचक्खाणकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा जीवअपचक्खाणकिरिया चेव, अजीव अपश्चक्खाणकिरिया चेव । ठाण० स्था २ । उ १ | सू ६० । पृ० १८६ अप्रत्याख्यानक्रिया के दो भेद होते हैं, यथा-जीव-अप्रत्याख्यानक्रिया तथा अजीव अप्रत्याख्यानक्रिया । " Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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