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________________ बन्धशतक प्रकरणम् वरिसाण सयं एगं होड़ अबाहा तओ उ जेसिं तु । कम्माण जावइया अयराणं कोडिकोडीओ ॥ ३४६ ॥ भणिया तत्तियमेत्ताणि होइ वरिसस्सयाणि उ अबाहा । आबाहकालऊणा कम्मठिई कम्मनिस्सेगो ॥३४७॥ सव्वत्थ वि भणियव्वो तित्थाहारगदुगाण पुण भणिया । अंतो कोडाकोडी अंतमुहुत्तं च आबाहा ॥ ३४८ ॥ आबाहूणा कम्मठिईओ होई उ कम्मनिस्सेगो । नणु बद्धस्स उ तित्थगरजाइकम्मस्स उदओ उ ॥ ३४९ ॥ तइयभवे किर होई अंतमुहुत्तं तु एत्थ उ अबाहा । भणियातोन्तमुहुत्ता अनंतरं तम्मि चेव भवे ॥ ३५० ॥ पावइ विवागउदओ उ तित्थकरनामगस्स एत्थाह । नहि आबाहाविगमे आगच्छंतेव कम्माणि ॥३५१॥ उदयं किं पुण कम्माणि जड़ विवागेण उदयमायंति । तत्तो उ अबाहाए परिक्खएणेव कम्माणि ॥३५२॥ आगच्छंती उदए अओ अबाहाक्खएण पत्थुयए । इह दोसेणं तहवि विवागउदयजोग्गया हवइ ॥ ३५३॥ तो संतीए तीए जस्स जया देसखेत्तकालाई । सामग्गी होइ तया विवागउदओ उ हो एवं ॥ ३५४ ॥ रूवसोहग्गं बलमाइसंपयानिययजाइअणुसारा । जा दीसइ सा तित्थंकरनामविवागउदओ ति ॥३५५॥ अंतोकोडाकोडी तित्थाहाराण जेट्ठठिड़बंधो । जं भणियं तहि एतो कोडाकोडीए मज्झम्मि || ३५६ ॥ थोवा य बहुतरागा ठिईविसेसा उ हुंति ते तत्थ । ते सव्वे वि हु अंतोकोडाकोडी त्ति सन्नाए ॥ ३५७ ।। A A A A A A गा.-५२५३ १७०
SR No.009504
Book TitleBandhashataka Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVairagyarativijay, Prashamrativijay
PublisherPravachan Prakashan Puna
Publication Year2005
Total Pages376
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size1 MB
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