________________
समभाव से सहन करें, ऐसा नियम था । परंतु कालानुसारी इसमें परिवर्तन नजर आता है, जो कि जरूरी भी है । साधुसंतों की एषणीय, अहिंसायुक्त चिकित्सा की जाती है ।
__ आचारशुद्धि आचार का प्रथम अंग है । इसमें भी कालानुरूप हम परिवर्तन देख रहे हैं । जैसे - साधु-साध्वी के लिए एक ही समय आहारग्रहण का विधान है । वाहनप्रयोग, विहारविधान, व्हिलचेअर, निहार पद्धति, चिकित्सा तपस्या का आडंबर, वस्त्रपरिधान, आवासनिवास व्यवस्था, पात्रों की संख्या, भाषाविवेक, संसारपक्ष के प्रति दृष्टिकोण, शिक्षण, साहित्य, पत्रिका, सीडी, कॅसेट, मोबाईल इ. - इस प्रकार परिवर्तन हुआ है और आगे भी होता रहेगा । इनमें से कई बातें आवश्यक भी हैं । लेकिन हमारा कर्तव्य बनता है कि ढील देते देते कही सारसूत्र न खो जाए ।
६