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जो स्वयं दृढ़ श्रद्धानी हैं ऐसे कोई विरले उत्तम पुरुष ही अपने समस्त कुटुम्ब को उपदेशादि के द्वारा मिथ्यात्व से रहित करते हैं सो ऐसे पुरुष थोड़े
जिनके तीव्र मिथ्यात्व का उदय है उन्हें जिनवाणी नहीं रुचती ।
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मिथ्यात्वी का जन्म निष्फल