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AKAS
सच्चे गुरु ही
मात्र वेषी त्याज्य
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शरण MAN
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आचार्य कहते हैं कि उन कुगुरुओं से हम क्या कहें और क्या करें जो लिंग अर्थात बाह्य वेष को दिखाकर
भोले जीवों को नरक में डालते हैं। कैसे हैं वे कुगुरु ?नष्टबुद्धि अर्थात कार्यअकार्य के विवेक से रहित हैं, लज्जा
रहित चाहे जो कहते हैं अतः ढीठ हैं और धर्मात्माओं से द्वेष रखने से दुष्ट
भी हैं।
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शुद्ध
सुगुरु के बिना सुख कैसे हो ।
गुरु की उपासना करIA
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