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गाथा ११
जिन आज्ञा का उल्लंघन करके उन्मार्ग-उत्सूत्र का जो अंश मात्र भी उपदेश देना है वह जिनेन्द्र भगवान की आज्ञा का भंग करना है और मार्ग का उल्लंघन करके प्रवर्तना है तथा जिन आज्ञा भंग करने में इतना | अधिक पाप है कि उसे फिर जिनभाषित धर्म को पाना अत्यन्त दुर्लभ हो जाता है ।
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