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गाथा १०
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नरक
नरक
व्यापारादि आरंभ से उत्पन्न हुआ जो पाप है उसके प्रभाव से जीव
नरकादि के तीक्ष्ण दुःखों को प्राप्त करता है परन्तु यदि
मिथ्यात्व का एक अंश भी विद्यमान हो तो जीव
सम्यक दर्शन-ज्ञान-चारित्र एवं तपमयी बोधि को प्राप्त नहीं कर पाता है।