________________
योगसार प्रवचन (भाग-२) की कीमत करने पर, कीमती की कीमत करने पर, ऐसी कीमती चीज की कीमत दृष्टि में करने पर उसे इन्द्रिय-विषय में सुखबुद्धि छूट जाती है। मुझमें आनन्द है, इन्द्रिय के विषय में धूल है (ऐसी) सुखबुद्धि उड़ जाती है। समझ में आया? और इन्द्रिय-विषय के कारणरूप पुण्यभाव हो, उसमें भी सुखबुद्धि उड़ जाती है। उस पुण्य से बन्धन होता है, उस पुण्य से भी सुखबुद्धि उड़ जाती है। आहा...हा... ! उसकी विधि इसे पकड़ में नहीं आती। पहले तो सुनने ही नहीं मिलती तो बेचारा कहाँ जाये? जिस पन्थ में चला, ऐसा का ऐसा चला जाता है । जिन्दगी पूरी होकर मरकर जाये, जहाँ से आया हो, वहाँ का वहाँ (जाता है), चौरासी की घानी में (जाता है)। चौरासी की बड़ी खाई पड़ी है। आहा... हा...!
वह मर गया, नहीं? नवनीतभाई का लड़का। काश्मीर' (गया था) नवनीतभाई गृहस्थ मनुष्य, साठ-सत्तर लाख, करोड़पति होंगे। ढाई करोड़ के तो उन्हें कारखाना है। उनके दो पुत्र हैं, उसमें एक लड़का घोड़े पर बैठकर ऐसा कहीं जा रहा था, उसमें रास्ता छोटा होगा, उसमें घोड़ा भागा, लड़का उस पर बैठा था, वह भी लपटा। नीचे खाई... ऐसी खाई... हो गया... छोड़कर चला गया...। लड़का और घोड़ा दोनों नीचे (गये)।खाई वह ऐसी खाई कि किसी भी व्यक्ति को जाने का कोई रास्ता न मिलें. कोई जा ही नहीं सकता। हो गया... ऐसे गिरते... गिरते... गया हो गया समाप्त! चलो छोड़कर ! वह घोड़ा और लड़का दोनों नीचे गये। यह नवनीतभाई अपने प्रमुख हैं न ! यहाँ मकान बनाते हैं न? समझ में आया? यह चौरासी की खाई है, कहते हैं। यदि यहाँ से लटका... आहा...हा...! वह अवसर कैसा होगा? गृहस्थ व्यक्ति, उसका लड़का घोड़े पर बैठकर जाये – ऐसा जरा-सा पैर लटका। चारों ओर खाई... खाई... खाई... गहरी खाई बबूल (की झाड़ी) के अन्दर कैसे बाघ, वरू होगा? कितना गहरा होगा? कहाँ जाकर फँस गया होगा? और वहाँ जाकर देह छूट गया होगा, हो गया जाओ! घोड़ा और मनुष्य । वह खाई है, बापू! ऐसे ही इस मनुष्य देह में आत्मा को पहचानने का काल अवसर है। अन्यत्र यह अवसर नहीं है। यदि यह अवसर चला गया तो खाई में जायेगा, चौरासी में पता लगे ऐसा नहीं। उपाय एक ही है। समझ में आया?
अनेकान्त के ज्ञान से विभूषित रहे की पर्याय की अपेक्षा से मैं कर्मसहित हूँ।