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________________ योगसार प्रवचन (भाग-१) ४४७ जो परभाव का त्याग करता है.... अन्तर में शुभाशुभराग को छोड़ता है और लोकालोक का प्रकाशक भगवान आत्मा को अनुभव करता है। लोकालोक का प्रकाश करनेवाला भगवान तू है। लोकालोक का करनेवाला नहीं, एक रजकण का करनेवाला नहीं, एक राग को रचनेवाला नहीं, व्यवहार विकल्प को रचनेवाला नहीं, परन्तु व्यवहार आदि सब लोकालोक में जाता है, उन सबका प्रकाशक भगवान आत्मा है। आहा...हा...! वे भगवान, ज्ञानी... 'बुह्म' है न? 'बुह्म' अर्थात् ज्ञानी महात्मा धन्य है। कहते हैं उन्हें धन्य है। आहा...हा... ! यह उन्हें धन्य है। उसे धन है और उसे धन्य है। बाकी सब भिखारी और रंक है। भगवान आत्मा लोक और अलोक का प्रकाश (करनेवाला) है। चैतन्यबिम्ब – सूर्य निरालम्बी, राग और शरीर से भिन्न चैतन्यबिम्ब पड़ा है, ऐसा लोकालोक को प्रकाशित करनेवाला, ऐसा जो चैतन्य का अनुभव रागादि विकल्प को छोड़कर इसे अनुभव करे, वे ज्ञानी जगत में धन्य हैं। स्वयं भी कहते हैं, आहा...हा... ! तेरा अवतार तूने सफल किया, भाई ! यह अवतार, अवतार के अभाव के लिये तेरा अवतार है। समझ में आया? हैं? इसलिए धन्य है। अवतार प्रगट करने के लिये अवतार नहीं है। वह अवतार क्या धन्य (कहना)? जिस अवतार में लक्ष्मी प्राप्त की और धूल प्राप्त की और स्त्री-पुत्र मिले, इसलिए वह अवतार... वह अवतार होगा? बहुत प्राप्त किया, हमारे पिता कुछ नहीं छोड़ गये, हमने बाहुबल से सब इकट्ठा किया। चार भाई थे, हम चारों ने विवाह किया, पढ़े, मकान बनाये एक-एक को दो-दो लाख का मकान, पाँच-पाँच दस-दस लाख की पूँजी है। यह तो कम गिनी अपने पूनमचन्द की अपेक्षा से अपने को इतना तो बहुत कहलाता है। बापा कुछ छोड़ नहीं गये थे। सब हमने बड़ा होकर अपने आप और यह मकान बनाये हमारी शक्ति प्रमाण यह सब किया। दो-दो लाख के मकान, चार भाईयों के बंगले हैं, अच्छे सगेसम्बन्धी हैं, लड़की का विवाह अच्छी जगह हुआ है। लड़कों की शादी अच्छी जगह हुई है, और भगवान की कृपा है... । यह भगवान की कृपा होगी? मुमुक्षु - बहुत धीमे से और शान्ति से बात करते हैं ? उत्तर – बात धीमे से करे परन्तु अन्दर गलगलिया (रोमांच) होता है। ए.... निहालभाई!
SR No.009481
Book TitleYogsara Pravachan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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