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________________ योगसार प्रवचन (भाग-१) १६३ गया? – उसकी बातें वहाँ हैं। प्रथमानुयोग में भी आत्मा के शुद्धस्वरूप को (बताते हैं) क्योंकि जिनेन्द्रदेव ने ध्वनि द्वारा कहा, वह तो वीतरागपना करने का उन्होंने कहा । स्वयं सर्वज्ञ और वीतराग होकर वाणी आयी तो उस वाणी में – हम जो हैं, इतना तू है, वह हम हैं, स्वरूप से, हाँ! परमेश्वर के स्वरूप में और आत्मा के स्वरूप में कहीं अन्तर नहीं है। वस्तु भले भिन्न है परन्तु भाव में कोई अन्तर नहीं है। मुमुक्षु - पुराण में भी ऐसा लिखा है। उत्तर – पुराण में यह लिखा है। पुराण में लिखने का सिद्धान्त का सार यहाँ क्या कहा? इह सिद्धंतहु सारु पुराण में कहा हो तो भी जो आत्माएँ अपने स्वरूप को वीतराग ज्ञाता-दृष्टास्वरूप जानकर, भेद का लक्ष्य छोड़कर, अभेद चैतन्य का साधन किया, उनकी कथाओं के वर्णन को पुराण कहते हैं। तीर्थंकर, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेवों का उसमें वर्णन है परन्तु उस पुरुष ने वर्णन में किया क्या? कहा क्या? और किसलिए कहा? इन सब वर्णन में यह आत्माएँ – शलाका पुरुष, तीर्थंकर, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव, प्रतिवासुदेव इत्यादि – इन्होंने मूल आत्मा के अन्तरस्वरूप का (साधन किया) वीतराग जैसा ही मैं आत्मा हूँ.... समझ में आया? उन्हें मोक्ष प्रगट हो गया; मुझे मोक्ष, स्वभाव में विद्यमान है – ऐसे आत्मतत्त्व को वीतराग परमात्मा जैसा अपने को जानना ही अनुयोग में – प्रथमानुयोग में कहने का सार है। कहो, समझ में आया? दूसरा करणानुयोग। करणानुयोग में भी यह सार है कि देखो भई! कर्म निमित्त है, उनके निमित्त से विकार होता है, उसकी अवस्थाएँ अनेक प्रकार की होती है परन्तु यह कर्म और यह कहते हैं, उसका सार यह है कि इससे रहित आत्मा है। समझ में आया? करणानुयोग में कहने का आशय तो यह है कि कर्म एक चीज है, उसके लक्ष्य से जीव की अवस्थाएँ अनेक होती हैं और उसके परिणाम कैसे होते हैं, उन्हें बतलाते हैं परन्तु वे सब विकारी परिणाम और कर्म, यह व्यवहार वस्तु है। यह बतलाने का आशय तो तू उनसे रहित है ऐसा बतलाना है। मुमुक्षु - कर्म से दुःखी हुआ – ऐसा नहीं बतलाना? उत्तर – ऐसा नहीं बतलाना है। उनसे सहित है – ऐसा नहीं बतलाना है। रहित
SR No.009481
Book TitleYogsara Pravachan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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