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________________ ५६ प्रश्न १०. गौण शब्द से क्या तात्पर्य है? उत्तर : प्रतिपक्षी धर्मों के संबंध में चुप्पी ही गौणता है। गौणता में प्रतिपक्षी धर्मों का विधि-निषेध कुछ नहीं किया जाता अपितु उन धर्मों के संबंध में मौन रहा जाता है। अध्यात्म के नय प्रश्न ११. क्या मुख्यता- गौणता वस्तु में विद्यमान धर्मों की अपेक्षा होती है? नहीं, वस्तु में सभी धर्म प्रतिसमय अपनी पूर्ण हैसियत से विद्यमान रहते हैं। उत्तर : प्रश्न १२. मुख्यता- गौणता वस्तु में किस अपेक्षा होती है? उत्तर : वस्तु में मुख्यता- गौणता वक्ता की इच्छानुसार होती है; क्योंकि विवक्षा अविवक्षा वाणी के भेद हैं, वस्तु के नहीं । प्रश्न १३. वाणी में मुख्य-गौण का भेद क्यों होता है? उत्तर : क्योंकि वाणी में वस्तु के सभी धर्मों को एक साथ कहने की सामर्थ्य नहीं है। प्रश्न १४. क्या नयों के कथन से अविविक्षित धर्मों का निषेध किया जाता है? उत्तर : नहीं । प्रश्न १५. व्यवहार का कार्य क्या है? उत्तर : स्व में भेद करना, पर से अभेद करना, संयोगों का ज्ञान कराना और वस्तुस्वरूप समझाना है। प्रश्न १६. व्यवहारनय का फल क्या है? उत्तर : संसार । प्रश्न १७. व्यवहारनय भूतार्थ है या अभूतार्थ ? उत्तर: अभूतार्थ । प्रश्न १८. क्या व्यवहारनय पूर्णतः अभूतार्थ है? सतर्क उत्तर दीजिए। उत्तर : नहीं, व्यवहारनय पूर्णतः अभूतार्थ नहीं है, कथंचित् अभूतार्थ है । व्यवहारनय निश्चयनय की अपेक्षा अभूतार्थ है, किन्तु लोकव्यवहाररूप में वह भूतार्थ है । 31 नयचक्र प्रश्नोत्तर प्रश्न १९. व्यवहारनय को अभूतार्थ क्यों कहा है? उत्तर : व्यवहारनय के विषयभूत भेद और संयोग के आश्रय से आत्मा का अनुभव नहीं होता, मुक्ति की प्राप्ति नहीं होती। इस अपेक्षा से व्यवहारनय को अभूतार्थ कहा है। प्रश्न २०. व्यवहारनय के विषयभूत भेद और संयोगों का अस्तित्व होता है या नहीं? उत्तर : व्यवहारनय के विषयभूत भेद और संयोगों का अस्तित्व होता है। प्रश्न २१. क्या व्यवहारनय का विषय ध्येय है? उत्तर : नहीं, व्यवहारनय का विषय ध्येय नहीं, ज्ञेय है। प्रश्न २२. निश्चय का कार्य क्या है? उत्तर : पर से भेद कर स्व में अभेद करना । व्यवहार के निषेध के साथसाथ स्वयं के पक्ष का भी निषेध कर जीव को नयातीत आत्मा में स्थापित करना है। प्रश्न २३. निश्चयनय का फल क्या है? उत्तर : मोक्ष। प्रश्न २४. निश्चयनय भूतार्थ है या अभूतार्थ ? भूतार्थ । उत्तर : प्रश्न २५. निश्चयनय का विषय क्या है? ५७ उत्तर : अभेद अखण्ड आत्मा । प्रश्न २६. निश्चयनय को भूतार्थ क्यों कहते हैं? उत्तर : निश्चयनय के आश्रय से सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति होती है, मुक्ति की प्राप्ति होती है इसी कारण उसे भूतार्थ कहते हैं। प्रश्न २७. व्यवहार और निश्चय में कौन सा संबंध है? उत्तर : निषेध्य-निषेधक । प्रश्न २८. निश्चय और व्यवहार में कौन सा संबंध है? उत्तर : प्रतिपाद्यप्रतिपादक | प्रश्न २९. व्यवहारनय निश्चयनय का प्रतिपादक क्यों है?
SR No.009461
Book TitleNaychakra Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuddhatmaprabha Tadaiya
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages33
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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