________________ वह पातमा ही विष्णु है जिन रुद्र शिव शंकर वही / बुद्ध ब्रह्मा सिद्ध ईश्वर है वही भगवन्त भी // 10 // इन लक्षणों से विशद लक्षित देव जो निर्देह है। कोई अन्तर है नहीं जो देह-देवल में रहे // 106 // जो होयगे या हो रहे या सिद्ध अबतक जो हुए। यह बात है निभ्रान्त वे सब आत्मदर्शन से हुए // 107 // भवदुखों से भयभीत योगीचन्द्र मुनिवरदेव ने / ये एकमन से रचे वोहे स्वयं को संबोधने // 108 / / जोइन्दु मुनिवरदेव ने वोहे रचे अपभ्रंस में। लेकर उन्हीं का भाव मैंने रख दिया हरिगीत में।