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प्रकरण तीसरा
प्रश्न 55 - ज्ञानगुण की कौन-कौन सी पर्यायें हैं?
उत्तर - मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान और केवलज्ञान - यह सम्यग्ज्ञान की पर्यायें हैं और कुमतिज्ञान, कुश्रुतज्ञान तथा कुअवधिज्ञान - यह मिथ्याज्ञान की पर्यायें हैं - इस प्रकार ज्ञानगुण की आठ पर्यायें हैं।
प्रश्न 56 - उपरोक्त आठ पर्यायों में स्वभावअर्थपर्याय और विभावअर्थ पर्याय कौन हैं?
उत्तर - (1) केवलज्ञान स्वभावअर्थपर्याय है।
(2) सम्यग्मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान और मनःपर्यय ज्ञान - यह केवलज्ञान की अपेक्षा से विभावअर्थपर्यायें हैं और वही चार ज्ञान सम्यग्ज्ञान की पर्यायें हैं; इसलिए उन्हें एकदेश स्वभावअर्थपर्याय कहा जाता है।
(3) कुमति, कुश्रुत और कुअवधिज्ञान - वे विभावअर्थ -पर्यायें हैं।
प्रश्न 57 - मतिज्ञान के कितने भेद हैं ?
उत्तर - दो भेद हैं - (1) सांव्यावहारिक प्रत्यक्ष और (2) परोक्ष।
प्रश्न 58 - सांव्यावहारिक प्रत्यक्ष किसे कहते हैं ?
उत्तर - जो इन्द्रिय और मन के निमित्त के सम्बन्ध से पदार्थ को एक देश (भाग) स्पष्ट जाने, उसे सांव्यावहारिक प्रत्यक्ष कहते हैं।
प्रश्न 59 - मतिज्ञान के कितने भेद हैं ?