________________
श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
वन्दना करने के लिए मस्तक में से एक हाथ प्रमाण स्वच्छ, श्वेत, सप्त धातुरहित पुरुषाकार जो पुतला निकलता है, उसे आहारक शरीर कहते हैं ।
प्रश्न 52 - तैजस शरीर किसे कहते हैं ?
उत्तर औदारिक, वैक्रियिक और आहारक
इन तीन शरीरों में कान्ति उत्पन्न होने में जो निमित्त है, उसे तैजस शरीर कहते हैं ।
-
79
-
प्रश्न 53 - कार्मण शरीर किसे कहते हैं ?
उत्तर - ज्ञानावरणादि आठ कर्मों के समूह को कार्मण शरीर कहते हैं ।
प्रश्न 54 - एक जीव को एक साथ कितने शरीरों का संयोग हो सकता है ?
उत्तर -
(1) एक साथ कम से कम दो और अधिक से अधिक चार शरीरों का संयोग होता है ।
-
(2) विग्रहगति' में तैजस और कार्मण शरीर का संयोग होता है।
(3) मनुष्य और तिर्यञ्च को औदारिक, तैजस और कार्मण - तीन शरीर होते हैं, किन्तु आहारक ऋद्धिधारी मुनि को औदारिक, आहारक, तैजस और कार्मण ऐसे चार शरीर होते हैं ?
-
(4) देव और नारकियों को वैक्रियिक, तैजस और कार्मण - तीन शरीर होते हैं।
-
1. विग्रहार्थ गतिर्विग्रहगतिः एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर की प्राप्ति के लिए गमन करना, वह विग्रहगति है। (विग्रह शरीर )