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________________ श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला उत्तर - चार भेद हैं - (1) स्मृति, (2) प्रत्यभिज्ञान, (3) तर्क और (4) अनुमान। (1) स्मृति - भूतकाल में जाने, देखे, सुने या अनुभव किये हुए पदार्थ का वर्तमान में स्मरण हो, वह स्मृति है। (2) प्रत्यभिज्ञान - वर्तमान में किसी पदार्थ को देखने से 'यह वही पदार्थ है, जिसे पहले मैंने देखा था' - इस प्रकार स्मरण और प्रत्यक्ष को जोड़कर ज्ञान को प्रत्यभिज्ञान कहते हैं। (3) तर्क - कोई चिह्न देखकर 'यहाँ इस चिह्नवाला अवश्य होना चाहिए' - ऐसा विचार, वह तर्क (चिन्ता) है। इस ज्ञान को उह अथवा व्याप्तिज्ञान भी कहते हैं। (4) अनुमान - सन्मुख चिह्नदि देखकर उस चिह्नवाले पदार्थ का निर्णय करना, उसे अनुमान (अभिनिबोध) कहते हैं। प्रश्न 60 - मतिज्ञान के क्रम के कितने भेद हैं ? उत्तर - चार भेद हैं - (1) अवग्रह, (2) ईहा, (3) अवाय, और (4) धारणा। ___ (1) अवग्रह - इन्द्रिय और पदार्थ के योग्य स्थान में रहने से सामान्य प्रतिभासरूप दर्शन के पश्चात् अवान्तर सत्तासहित विशेष वस्तु के ज्ञान को अवग्रह कहते हैं; जैसे कि - यह मनुष्य है। (2) ईहा - अवग्रहज्ञान द्वारा जाने हुए पदार्थ के विशेष में उत्पन्न हुए संशय को दूर करनेवाले ऐसे अभिलाषस्वरूप ज्ञान को ईहा कहते हैं; जैसे कि - वे ठाकुरदासजी हैं। यह ज्ञान इतना निर्बल है कि किसी भी पदार्थ की ईहा होकर
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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