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________________ प्रकरण दूसरा उत्तर - द्रव्यत्व गुण। प्रश्न 80 - हम मनुष्य हैं, इसलिए हमें अपने कार्य में दूसरों की आवश्यकता होती है, दूसरों के बिना नहीं चल सकता - ऐसा माननेवाले ने कौन-से गुणों को नहीं माना? उत्तर - मनुष्य तो असमानजातीय द्रव्यपर्याय है। शरीर, अजीव रूपी पुद्गलद्रव्य है और जीव सदा अरूपी चेतनद्रव्य है। उनका संयोग - एकक्षेत्रावगाह सम्बन्ध बन्धरूप से है। एक द्रव्य को दूसरे द्रव्य की आवश्यकता होती है - ऐसा माननेवाले ने वस्तुत्व, द्रव्यत्व, अगुरुलघुत्वादि गुणों को नहीं माना। प्रश्न 81 - जो द्रव्य हैं, उनका कभी नाश नहीं होता और न वे दूसरे द्रव्यों के साथ मिलते हैं - न एकमेक होते हैं। उसमें कौन-से गुण कारणभूत हैं? उत्तर - अस्तित्वगुण और अगुरुलघुत्व गुण। प्रश्न 82 - जो स्वभाव है, वह गुप्त नहीं रहता, वह किसी में मिल जाता नहीं - नष्ट नहीं होता, परिवर्तित हुए बिना नहीं रहता - उसमें कौन-से गुण कारणभूत हैं ? उत्तर - उसमें अनुक्रम से प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व, अस्तित्व और द्रव्यत्व गुण कारणभूत हैं। प्रश्न 83 - छहों सामान्य गुणों का प्रयोजन संक्षेप में क्या है ? उत्तर - (1) किसी द्रव्य की कभी उत्पत्ति या विनाश नहीं है, इसलिए कोई किसी का कर्ता नहीं है - ऐसा अस्तित्वगुण सूचित करता है।
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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