SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 437
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [xix] हुआ। यही सङ्कलन बाद में हिन्दी भाषा में भी तीन भागों में प्रकाशित हुआ। प्रस्तुत संस्करण दोनों सङ्कलनों के आधार पर सम्पादित संस्करण हैं। इस सम्पादित संस्करण में प्रत्येक अधिकार के प्रश्नोत्तरों की संख्या पूर्व संस्करणों की भाँति लगातार न रखते हुए प्रत्येक अधिकार की अलग-अलग रखी गयी है। पूरे ग्रन्थ को गुजराती के साथ मिलान करके आवश्यक संशोधन किये गये हैं। ___ ग्रन्थ में समाहित उद्धरणों को मूल ग्रन्थों के आधार पर मिलान किया गया है। __निमित्त-उपादान एवं निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्धवाले प्रकरण के विशेष स्पष्टीकरण हेतु पूज्य गुरुदेवश्री के प्रवचन (1) स्वतन्त्रता की घोषणा, (2) निमित्त-उपादान की स्वतन्त्रता तथा पण्डित बनारसीदास कृत निमित्त-उपादान के दोहे और भैया भगवतीदास कृत निमित्तउपादान संवाद अतिरिक्तरूप से जोड़ा गया है। पाठक एवं अध्यापक बन्धुओं से इस प्रकरण को पढ़ाते समय गुरुदेवश्री के इन प्रवचनों के माध्यम से विशेष स्पष्टीकरण की अपेक्षा है। साथ ही दोनों प्रकार के दोहों को कण्ठस्थ कराने का भी अनुरोध है। वर्तमान समय में सम्पूर्ण देश में पूज्य गुरुदेवश्री के सी.डी. प्रवचनों का युग प्रवर्तमान है। अत: यह भावना हुई कि पूज्य गुरुदेवश्री के सी.डी. प्रवचनों पर आधारित शिक्षण शिविर सम्पूर्ण देश में लगाये जायें। तदर्थ गुरुदेवश्री के शब्दश: प्रवचन ग्रन्थों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इस दिशा में कार्य द्रुतगति से चल रहा है। शिक्षण शिविर के अवसर पर ही प्रस्तुत ग्रन्थ के आधार पर शिक्षण-कक्षाओं की व्यवस्था करने के प्रशस्तभाव से यह सम्पादित संस्करण तैयार किया गया है। / प्रस्तुत प्रकाशन के अवसर पर वीतरागी देव-शास्त्र-गुरु के श्रीचरणों में सादर वन्दन समर्पित करते हुए, पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामी के प्रति
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy