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________________ [v] वर्तमान युग में समयसारादि परमागमों का अपनी सातिशय स्वानुभव मुद्रित वाणी में उदघाटन करनेवाले पूज्य गुरुदेव का तो हम सब पर अनन्त-अनन्त उपकार वर्तता ही है। अत: हम पूज्य गुरुदेवश्री के प्रति अपने हार्दिक विनयांजलि समर्पित करते गुरुदेव की महिमा प्रकाशित करनेवाले प्रशममूर्ति पूज्य बहिनश्री का भी मुमुक्षु समाज पर अनुपम उपकार है, तदर्थ उनके प्रति हार्दिक बहुमान व्यक्त करते हैं। प्रस्तुत प्रकाशन के प्रेरणा स्रोत गुरुदेवश्री के अनन्य कृपा पात्र बाल ब्रह्मचारी हेमन्तभाई गाँधी, सोनगढ़ के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। प्रस्तुत प्रकाशन को सम्पादितरूप में प्रस्तुत करने के लिये पण्डित देवेन्द्र कुमार जैन, बिजौलियां राजस्थान के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। सभी जीव इस ग्रन्थ के माध्यम से जैन सिद्धान्तों का परिचय प्राप्त करके पूज्य गुरुदेवश्री की वाणी के गम्भीर रहस्यों को समझकर निज परिणति में स्वानुभवदशा प्रगट करके अनन्त सुखी हों - इस पवित्र भावना के साथ। ट्रस्टीगण श्री कुन्दकुन्द-कहान पारमार्थिक ट्रस्ट मुम्बई
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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