________________ [iv] गुजराती भाषा में प्रकाशित इस जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला का हिन्दी अनुवाद श्री सेठी दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला, मुम्बई से अनेक वर्षों पूर्व प्रकाशित हुआ जो आज अनुपलब्ध है। वर्तमान समय में पूज्य गुरुदेवश्री के द्वारा प्रतिपादित वीतरागी तत्त्वज्ञान के सिद्धान्तों का व्यवस्थितरूप से अध्ययन कराने के उद्देश्य से इस ग्रन्थ का पुनः प्रकाशन इस ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। प्रस्तुत प्रकाशन से पूर्व इसे गुजराती भाषा के साथ मिलान करके आवश्यक संशोधन के साथ प्रकाशन करने की भावना को साकार करते हुए आदरणीय बाल ब्रह्मचारी हेमन्तभाई गाँधी की प्रेरणा से इसमें कुछ आवश्यक परिशिष्ट जो प्रस्तुत प्रकरण के साथ अतिउपयोगी हैं, जोड़े गये हैं। जैसे, स्वतन्त्रता की घोषणा, निमित्त उपादान की स्वतन्त्रता आदि प्रवचन; अध्यापक बन्धुओं से अनुरोध है कि प्रस्तुत प्रकरण को पढ़ाते समय पूज्य गुरुदेवश्री के इन प्रवचनों का भी शिविरार्थियों को अवश्य अध्ययन करायें। जिससे उन्हें विषयवस्तु को गहराई से हृदयंगम करने का सुअवसर प्राप्त हो। वर्तमान समय में परम उपकारी पूज्य गुरुदेवश्री के मांगलिक सी.डी. प्रवचनों का पुनीत प्रवाह देश एवं विदेश के अनेक मुमुक्षु मण्डलों में प्रचलित हुआ है। साथ ही गुरुदेवश्री के प्रवचनों के शब्दशः प्रकाशन ने इस कार्य को और गति प्रदान की है। यदि प्रवचनों के श्रवण के साथ-साथ जैन सिद्धान्तों का यथार्थ ज्ञान भी साधर्मीजनों को हो तो यह कार्य अति उत्तम रीति से सम्पन्न होगा। इसी भावना से प्रस्तुत प्रकाशन किया जा रहा है। हमारी भावना है कि जहाँ-जहाँ भी शिक्षण शिविरों का आयोजन हो, वहाँ-वहाँ इस पुस्तक के आधार पर जैन सिद्धान्तों का प्रारम्भिक ज्ञान कराने का प्रयास होना चाहिए।