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________________ प्रकाशकीय आत्मकल्याण के निमित्तभूत जैन सिद्धान्तों का प्रश्नोत्तरात्मक पद्धति से बोध करानेवाली जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला का प्रकाशन करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। परम पूज्य तीर्थंकर भगवन्तों, आचार्य भगवन्तों द्वारा प्रतिपादित आत्महितकारी जैन सिद्धान्तों का अपनी स्वानुभव रस झरती वाणी में प्रतिपादन करके हमारे जीवनशिल्पी पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामी ने हम सभी मुमुक्षुओं पर अनन्त-अनन्त उपकार किया है। पूज्य गुरुदेवश्री की उपस्थिति में अध्यात्म तीर्थ स्वर्णपुरी सोनगढ़ में आयोजित होनेवाले शिक्षण शिविरों के अवसर पर इन सिद्धान्तों का कक्षा पद्धति से अध्ययन कराया जाता रहा है। इसी श्रृंखला में विक्रम संवत् 2013 में आयोजित शिक्षण शिविर के अवसर पर संचालित कक्षाओं में अध्ययन कराये गये प्रश्नोत्तरों को तत्कालीन शिक्षण वर्ग में सम्मिलित साधर्मीजनों की भावनानुसार विविध विषयों के अन्तर्गत विभाजित करके तत्कालीन पाठशाला के धर्माध्यापक मास्टर हीराचन्दजी ने सुन्दर संकलन किया था। जिसे आदरणीय श्री रामजीभाई माणेकचन्द दोशी ने अपने विशाल समृद्ध ज्ञानकोश से सुसज्जित किया था। इसी प्रश्नोत्तरमाला का श्री दिगम्बर जैन स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्ट सोनगढ़ से गुजराती भाषा में प्रकाशन किया गया, जो अनवरत रूप से आज भी शिक्षण वर्ग की पाठ्य पुस्तक के रूप में पढ़ाई जाती है।
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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