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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
होते और संसारदशा की इच्छा नहीं करते, वह इस श्रद्धा का ही (मोक्षमार्गप्रकाशक, पृष्ठ 475 )
बल जानना ।
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प्रश्न 44 बाह्य सामग्री के अनुसार सुख - दुःख हैं - यह मान्यता सत्य है ?
उत्तर - नहीं; परद्रव्यरूप बाह्य सामग्री के अनुसार सुखदुःख नहीं हैं, किन्तु कषाय से इच्छा उत्पन्न हो तथा इच्छानुसार बाह्य सामग्री प्राप्त हो जाये, तथा कषाय के उपशमन से कुछ आकुलता कम हो, तब सुख मानता है; और इच्छानुसार सामग्री न मिलने से कषाय में वृद्धि होने पर आकुलता बढ़े, तब दुःख मानता है । अज्ञानी मानता है कि मुझे परद्रव्य के निमित्त से सुख-दुःख होते हैं - ऐसी मान्यता भ्रम ही है । (मोक्षमार्गप्रकाशक, पृष्ठ 453 ) प्रश्न 45 - जिनदेव के सर्व उपदेश का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - मोक्ष को हितरूप जानकर, एक ( मात्र) मोक्ष का उपाय करना ही सर्व उपदेश का तात्पर्य है ।
(मोक्षमार्गप्रकाशक, पृष्ठ ) प्रश्न 46 - ज्ञानी पुरुष का उपदेश मिला, किन्तु वह जीव तत्त्वनिर्णय का पुरुषार्थ न करे और व्यवहारधर्म के कार्यों में वर्ते तो उसका क्या फल आयेगा ?
उत्तर - उस जीव को प्राप्त हुआ अवसर चला जायेगा और संसार परिभम्रण ही रहेगा। (मोक्षमार्गप्रकाशक, पृष्ठ ) प्रश्न 47 - व्यवहार सम्यक्त्व किस गुण की पर्याय है ? उत्तर - सत् देव-गुरु-शास्त्र; छह द्रव्य और सात तत्त्वों की श्रद्धा का राग (विकल्प) होने से वह चारित्रगुण की अशुद्धपर्याय