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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
प्रश्न 19 - मोक्षमार्ग (मोक्ष का उपाय) निरपेक्ष है ?
उत्तर - हाँ; परम निरपेक्ष है । इस सम्बन्ध में श्री नियमसार (गाथा 2) की टीका में कहा है कि - 'निज परमात्मतत्त्व के सम्यक् श्रद्धान-ज्ञान-आचरण (अनुष्ठान) रूप शुद्धरत्नत्रयात्मक मार्ग परम निरपेक्ष होने से मोक्ष का उपाय है।'
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प्रश्न 20- परम निरपेक्ष कहने से एकान्त नहीं हो जाता ? उत्तर - नहीं; मोक्षमार्ग परम निरपेक्ष है - यह तो सम्यक् एकान्त है ।
प्रश्न 21 - तो फिर मोक्षमार्ग को सम्यक् अनेकान्त किस प्रकार लागू होता है ?
उत्तर - मोक्षमार्ग पर से परम निरपेक्ष है और स्व से परम सापेक्ष है - ऐसा जानना, वह सम्यक् अनेकान्त है।
प्रश्न 22 - देवादिक तथा तत्त्वादिक का निर्धार / निर्णय इस समय हो सकता है ?
उत्तर - हाँ, प्रमाद छोड़कर सच्चा उद्यम करे तो उन सबका सच्चा निर्णय हो सकता है। यदि कोई उनका विरुद्ध स्वरूप कहे तो जीव को स्वयं ही वह भासित हो जाता है ।
(गु० मोक्षमार्ग प्रकाशक, पृ. 330, हि० देहलीवाला, पृ. 486-87 ) प्रश्न 23 - प्रयोजनभूत तत्त्वों को जीव यथार्थ जाने-माने तो उसे क्या लाभ होगा ?
उत्तर - यदि उन्हें यथार्थरूप से जाने-श्रद्धान करे तो उसका सच्चा सुधार होता है अर्थात् सम्यग्दर्शन प्रगट हो जाता है ।