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________________ 338 प्रकरण आठवाँ (गाथा 585) तथा ज्ञेय को ज्ञानगत कहना भी नयाभास है। | निक्षेप | प्रश्न 69 - निक्षेप किसे कहते हैं? उत्तर - (1) युक्ति द्वारा (नय-प्रमाणज्ञान द्वारा) सुयुक्त मार्ग प्राप्त होने पर कार्यवशात् नाम, स्थापना, द्रव्य (योग्यतारूप शक्ति) और भाव में पदार्थ के स्थापन को निक्षेप कहते हैं। (जैन सिद्धान्त प्रवेशिका) (2) प्रमाण और नय के अनुसार प्रचलित हुए लोकव्यवहार को निक्षेप कहते हैं । ज्ञेय, पदार्थ अखण्ड है, तथापि उसे जानते हुए उसके जो भेद (अंश-पक्ष) किये जाते हैं, उसे निक्षेप कहते हैं। (मोक्षशास्त्र, अध्याय 1, सूत्र 5 की टीका) [निक्षेप, नय का विषय है। नय, निक्षेप का विषय करनेवाला विषयी है।] प्रश्न 70 - नामनिक्षेप किसे कहते है ? उत्तर - गुण, जाति, द्रव्य और क्रिया की अपेक्षारहित मात्र इच्छानुसार किसी का नाम रखना, वह नामनिक्षेप है; जैसे - किसी का नाम 'जिनदत्त' रखा; चूँकि वह जिनदेव का दिया हुआ नहीं है, तथापि लोक व्यवहार (पहिचानने) के लिए उसका नाम 'जिनदत्त' रखा गया है। प्रश्न 71 - स्थापनानिक्षेप किसे कहते हैं ? उत्तर - अनुपस्थित (उपस्थित न हो ऐसी) किसी वस्तु का दूसरी उपस्थित वस्तु में सम्बन्ध या मनोभावना जोड़कर आरोप
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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