________________
302
प्रमाण, अर्थात् सच्चा ज्ञान कहते हैं । ( परीक्षामुख परि० 1, सूत्र 1 ) 2. सच्चे ज्ञान को प्रमाणज्ञान कहते हैं । (जैन सिद्धान्त प्रवेशिका) 3. अनन्त गुणों अथवा धर्मों के समुदायरूप अपना तथा परवस्तु का स्वरूप प्रमाण द्वारा जाना जाता है। प्रमाण, वस्तु के सर्व देश को / सभी पक्षों को ग्रहण करता है - जानता है ।
(मोक्षशास्त्र, अध्याय 1, सूत्र 6 की स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्ट सोनगढ़ प्रकाशन ) प्रश्न 12 प्रमाण का विषय क्या है ?
उत्तर - सामान्य अथवा धर्मी और विशेष अथवा धर्म - इन दोनों अंशों के समूहरूप वस्तु, वह प्रमाण का विषय है ।
प्रश्न 13 प्रमाण के कितने भेद हैं ?
-
प्रकरण आठवाँ
उत्तर - दो भेद हैं - एक प्रत्यक्ष और दूसरा परोक्ष |
प्रश्न 14 प्रत्यक्ष प्रमाण किसे कहते हैं ?
उत्तर - जो पदार्थ को स्पष्ट जानता है, वह प्रत्यक्ष प्रमाण है ।
'मात्र आत्मा से' ही प्रति निश्चितरूप से प्रवर्ते, वह प्रत्यक्ष है ।
प्रश्न 15 प्रत्यक्ष प्रमाण के कितने भेद हैं ?
-
उत्तर - दो भेद हैं - एक सांव्यावहारिक प्रत्यक्ष और दूसरा पारमार्थिक प्रत्यक्ष ।
प्रश्न 16 - सांव्यावहारिक प्रत्यक्ष प्रमाण किसे कहते हैं ? उत्तर - जो इन्द्रिय और मन के निमित्त के सम्बन्ध से पदार्थ को एक देश (भाग) स्पष्ट जाने, उसे सांव्यावहारिक प्रत्यक्ष प्रमाण कहते हैं। उसके अवग्रहादि चार भेद हैं।
( उस सम्बन्ध में प्रकरण 3, प्रश्न 267 से 277 तक देखें)