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________________ 300 प्रश्न 5 - लक्षण के कितने दोष हैं ? प्रकरण आठवाँ उत्तर - तीन (1) अव्याप्ति, (2) अतिव्याप्ति और (3) असम्भव | प्रश्न 6 - अव्याप्तिदोष किसे कहते हैं ? उत्तर - लक्ष्य के एक देश में अर्थात् एक भाग में लक्षण का रहना, उसे अव्याप्तिदोष कहते हैं; जैसे कि पशु का लक्ष्ण सींग । विशेष - जो किसी लक्ष्य में हो और किसी में न हो; इस प्रकार लक्ष्य के एक देश में हो - ऐसा लक्षण जहाँ कहा जाए, वहाँ अव्याप्तिपना जानना, जैसे- आत्मा का लक्षण केवलज्ञान कहें, तो केवलज्ञान किसी आत्मा में होता है और किसी में नहीं होता; इसलिए यह लक्षण अव्याप्तिदोषसहित है, क्योंकि उसके द्वारा आत्मा की पहिचान करने से अल्प ज्ञानी जीव आत्मा सिद्ध नहीं होगा। (मोक्षमार्गप्रकाशक, पृष्ठ 315 ) प्रश्न 7 - अतिव्याप्ति दोष किसे कहते हैं ? - उत्तर लक्ष्य तथा अलक्ष्य लक्षण का रहना, उसे अतिव्याप्ति दोष कहते हैं; जैसे कि गाय का लक्षण सींग । विशेष - जो लक्ष्य और अलक्ष्य दोनों में हो - ऐसा लक्षण जहाँ कहा जाए, वहाँ अतिव्याप्तिपना जानना; जैसे आत्मा का लक्षण' अमूर्तत्व' कहा; वहाँ अमूर्तत्व लक्षण, लक्ष्य जो आत्मा, उसमें है, और अलक्ष्य जो आकाशादिक, उनमें भी है; इसलिए यह लक्षण अतिव्याप्तिदोषसहित है, क्योंकि उनके द्वारा आत्मा को पहिचानने से आकाशादिक भी आत्मा हो जाएँगे - यह दोष आयेगा । (मोक्षमार्गप्रकाशक, पृष्ठ 314 )
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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