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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
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शय्यासन (स्वाध्याय, ध्यान आदि की सिद्धि के लिए एकान्तपवित्र स्थान में सोना-बैठना), (6) कायक्लेश (शरीर से ममत्व न रखकर आतापन योगादि धारण करना।) - यह छह बाह्य तप हैं।
(2) छह आभ्यन्तर तपः - (1) प्रायश्चित (प्रमाद अथवा अज्ञान से लगे हुए दोषों की शुद्धि करना), (2) विनय (पूज्य पुरुशों का आदर करना), (3) वैयावृत्य (शरीर तथा अन्य वस्तुओं से मुनियों की सेवा करना), (4) स्वाध्याय (ज्ञान की भावना में आलस्य न करना), (5) व्यत्सर्ग (बाह्य एवं आभ्यन्तर परिग्रह का त्याग करना), (6) ध्यान (चित्त की चञ्चलता को रोककर उसे किसी एक पदार्थ के चिन्तवन में लगाना।) - यह छह आभ्यन्तर तप हैं।
प्रश्न 20 - उपाध्याय के 25 गुण कौन से हैं ?
उत्तर - वे 11 अङ्ग और 14 पूर्व के पाठी होते हैं तथा निकट रहनेवाले भव्य जीवों को पढ़ाते हैं; यही उनके 25 गुण समझना।
प्रश्न 21 - मुनि (साधु-श्रमण) के 28 मूलगुण कौन से हैं?
उत्तर - 5 महाव्रत - हिंसा, असत्य, चोरी, अब्रह्म और परिग्रह की विरतिरूप पाँच प्रकार।
5 समिति - ईर्या, भाषा, ऐषणा, आदाननिक्षेपण और प्रतिष्ठापन।
5 इन्द्रियनिरोध - पाँच इन्द्रियों के विषयों में इष्ट-अनिष्टपना न मानना।