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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
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निमित्त -
यह तो बात प्रसिद्ध है, सोच देख उर माहिं।
नरदेही के निमित्त बिन, जिय क्यों मुक्ति न जाहिं॥16॥ उपादान -
देह पींजरा जीव को, रोकै शिवपुर जात।
उपादान की शक्ति सों, मुक्ति होत रे भ्रात॥17॥ निमित्त -
उपादान सब जीव पै, रोकनहारौ कौन?
जाते क्यों नहिं मुक्ति में, बिन निमित्त के हौन॥18॥ उपादान -
उपादान सु अनादि को, उलट रह्यौ जगमाहिं।
सुलटत ही सूधे चलें, सिद्धलोक को जाहिं॥19॥ निमित्त -
कहुँ अनादि बिन निमित्त ही, उलट रह्यौ उपयोग।
ऐसी बात न संभवै, उपादान तुम जोग॥20॥ उपादान -
उपादान कहे रे निमित्त, हम पै कही न जाय।
ऐसी ही जिन केवली, देखे त्रिभुवन राय॥21॥ निमित्त -
जो देख्यो भगवान ने, सो ही सांचो आहिं।
हम तुम संग अनादि के, बली कहोगे काहिं॥22॥ उपादान
उपादान कहे वह बली, जाको नाश न होय। जो उपजत विनशत रहे, बली कहाँ तें सोय॥23॥