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प्रकरण पाँचवाँ
प्रश्न 4 - सम्प्रदान किसे कहते हैं ?
उत्तर - कर्म, अर्थात् परिणाम-कार्य जिसे दिया जाए अथवा जिसके लिए किया जाए, उसे सम्प्रदान कहते हैं।
प्रश्न 5 - अपादान किसे कहते हैं?
उत्तर - जिसमें से कर्म किया जाए, उस ध्रुव वस्तु को अपादान कहते हैं।
प्रश्न 6 - अधिकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर - जिसमें अथवा जिसके आधार से कर्म / कार्य किया जाए, उसे अधिकरण कहते हैं। _[सर्व द्रव्यों की प्रत्येक पर्याय में यह छह कारक एक साथ वर्तते हैं, इसलिए आत्मा और पुद्गल, शुद्धदशा में या अशुद्धदशा में स्वयं छहों कारकरूप परिणमन करते हैं और दूसरे कारकों की अर्थात् निमित्त कारणों की अपेक्षा नहीं रखते।]
(-देखो, पञ्चास्तिकाय, गाथा 62 संस्कृत टीका) ...निश्चय से पर के साथ आत्मा का कारकपने का सम्बन्ध नहीं है, कि जिससे शुद्धात्मस्वभाव की प्राप्ति के लिए सामग्री (बाह्य साधन) खोजने की व्यग्रता से जीव (व्यर्थ ही) परतन्त्र होते हैं।
(-श्री प्रवचनसार, गाथा 16 की टीका) प्रश्न 7 - कारक कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर - यह छह कारक व्यवहार और निश्चय – ऐसे दो प्रकार के हैं । जहाँ पर के निमित्त से कार्य की सिद्धि कही जाए, वहाँ व्यवहार-कारक हैं और जहाँ अपने ही उपादानकारण से