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गुणस्थान- प्रवेशिका निमित्त से होनेवाले जीव के भावों को क्षायोपशमिकभाव कहते हैं । क्षायोपशमिक के अठारह भेद हैं - क्षायोपशमिक सम्यक्त्व, क्षायोपशमिकचारित्र (सकलसंयम), देशसंयम (संयमासंयम), चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन, मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान, कुमतिज्ञान, कुश्रुतज्ञान, कुअवधिज्ञान, क्षायोपशमिकदान, क्षायोपशमिकलाभ, क्षायोपशमिकभोग, क्षायोपशमिक-उपभोग और क्षायोपशमिकवीर्य ।
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४. औदयिकभाव: कर्मोदय के समय में अर्थात् निमित्त से होनेवाले जीव के भावों को औदयिकभाव कहते हैं। औदयिकभाव के इक्कीस भेद हैं - चार गति, चार कषाय, तीन लिङ्ग, मिथ्यादर्शन, अज्ञान, असंयम, असिद्धत्व और छह लेश्या - कृष्ण, नील, कापोत, पीत, पद्म और शुक्ल ।
५. पारिणामिकभाव : पूर्णतः कर्मनिरपेक्ष अर्थात् कर्म के उपशम, क्षय, क्षयोपशम और उदय से निरपेक्ष जीव के परिणामों को पारिणामिकभाव कहते हैं । पारिणामिकभाव के तीन भेद हैं- जीवत्व, भव्यत्व और अभव्यत्व ।
८५. प्रश्न: निमित्तकारण किसे कहते हैं ?
उत्तर : जो पदार्थ स्वयं विवक्षित कार्यरूप तो न परिणमे; परन्तु कार्य की उत्पत्ति में अनुकूल होने का जिस पर आरोप आ सके, उस पदार्थ को निमित्त कारण कहते हैं। जैसे ह्र घट की उत्पत्ति में कुंभकार, दण्ड, चक्र आदि ।
८६. प्रश्न: निमित्तनैमित्तिक संबंध किसे कहते हैं ?
उत्तर : जब उपादान स्वतः कार्यरूप परिणमता है, तब भावरूप या अभावरूप किस उचित (योग्य) निमित्त कारण का उसके साथ सम्बन्ध है। ह्न यह बताने के लिए उस कार्य को नैमित्तिक कहते हैं। इस तरह से भिन्न पदार्थों के इस स्वतन्त्र सम्बन्ध को निमित्त - नैमित्तिक सम्बन्ध कहते हैं ।
निमित्तनैमित्तिक सम्बन्ध परतन्त्रता का सूचक नहीं है, किन्तु
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
नैमित्तिक के साथ कौन निमित्तरूप पदार्थ है; उसका ज्ञान कराता है। जिस कार्य को निमित्त की अपेक्षा नैमित्तिक कहा है, उसी को उपादान की अपेक्षा उपादेय भी कहते हैं।
८७. प्रश्न: आवली किसे कहते हैं ?
उत्तर : जघन्य युक्त असंख्यात समय-समूह को आवली कहते हैं। ८८. प्रश्न: समय किसे कहते हैं ?
उत्तर : एक आकाश के प्रदेश से निकटवर्ती अन्य आकाश के प्रदेश पर्यंत मंदगति से गमन करते हुए परमाणु के गमन काल को समय कहते हैं। यह व्यवहार काल का सबसे छोटा अंश है। ८९. प्रश्न : प्रदेश किसे कहते हैं ?
उत्तर : एक परमाणु से व्याप्त आकाशक्षेत्र को प्रदेश कहते हैं।
• एक प्रदेश में अनंत परमाणुओं को अवगाहन देने की शक्ति है । ९०. प्रश्न : अंतर्मुहूर्त किसे कहते हैं ?
उत्तर : मुहूर्त में से एक समय कम शेष काल प्रमाण को भिन्न मुहूर्त कहते हैं। उस भिन्न मुहूर्त में से भी एक समय कम शेष काल प्रमाण को अंतर्मुहूर्त कहते हैं; यह उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त है ।
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जो मुहूर्त के समीप हो, उसे अंतर्मुहूर्त कहते हैं ।
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आवली से अधिक और मुहूर्त से कम काल को अंतर्मुहूर्त कहते हैं। • एक मुहूर्त में ३७७३ श्वासोच्छवास होते हैं। एक श्वासोच्छवास में असंख्यात आवली होती हैं। एक आवली + एक समय यह जघन्य अंतर्मुहूर्त है ।
उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त से एक समय कम और जघन्य से एक समय अधिक ऐसे मध्यम अंतर्मुहूर्त अंसख्यात होते हैं।
९१. प्रश्न : मुहूर्त किसे कहते हैं ?
उत्तर : (दो घड़ी) अड़तालीस मिनिट को मुहूर्त कहते हैं । ९२. प्रश्न : पूर्व किसे कहते हैं ?
उत्तर : ७० लाख ५६ हजार करोड़ वर्ष काल को पूर्व कहते हैं।