SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वितीय खण्ड सामाजिक . महासमिति (जैनपथप्रदर्शक, २ अप्रैल, १९७७ के अंक से) भगवान महावीर के पच्चीससौवें निर्वाण-महोत्सव वर्ष को समाप्त हुए अभी बहुत दिन नहीं हुए, उसकी याद अभी ताजी है। उसकी अनेकानेक उपलब्धियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी - जैनएकता। कुछ भी हो, जैनियों के सभी सम्प्रदाय इस अवसर पर एक-दूसरे के कुछ न कुछ नजदीक अवश्य आये। उनका एक साथ उठना-बैठना तो हुआ ही, साथ ही परस्पर विचार-विनिमय भी हुआ। हम सब एक झंडे के नीचे खड़े . हुए, एक प्रतीक अपनाया। और भी अनेक एकता के काम हुए। दिगम्बर जैन समाज के स्तर पर भी निर्वाण-महोत्सव समितियों के माध्यम से एक देशव्यापी विशाल संगठन खड़ा हो गया। उसके माध्यम से जो अनेक कार्य सारे भारतवर्ष में हुए, वे तो अपने आप में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं ही, साथ ही संगठन का हो जाना भी एक महान् उपलब्धि है। क्योंकि कलौ संघे शक्तिः ' कलयुग में संगठन में ही शक्ति होती है। समय-समय पर दिगम्बर जैन समाज में अनेक संगठन बने-बिगड़े, पर ऐसा कोई संगठन आजतक नहीं बन पाया कि जिसकी पहुँच भारत की राजधानी दिल्ली से लेकर छोटे-से-छोटे गाँव तक हो। 'दिगम्बर भगवान्
SR No.009446
Book TitleBikhare Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2001
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy