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एक इन्टरव्यू : डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल से महाराष्ट्र के नगर वाशिम में श्री वीतराग-विज्ञान आध्यात्मिक शिक्षण प्रशिक्षण शिविर के अवसर पर दिनांक २७-५-८० को जैन यूथ फोरम के मुख पत्र 'छत्रत्रय' तमिल मासिक पत्रिका के सम्पादक श्री प्रोफेसर आदिनाथन् ने डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल से टोडरमल स्मारक भवन में संचालित-गतिविधियों के संदर्भ में एक इन्टरव्यू लिया, जिसे 'छत्रत्रय' तमिल जुलाई ८० के अंक में प्रकाशित किया गया है। उपयोगी जानकर पाठकों की जानकारी के लिए उसे यहाँ (जैनपथप्रदर्शक अगस्त द्वितीय १९८० में से) दिया जा रहा है। - सम्पादक
प्रश्न - आप टोडरमल दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय एवं वीतराग-विज्ञान विद्यापीठ परीक्षाबोर्ड के निदेशक हैं । इस पद पर रहकर आप कौनसा श्रेष्ठ कार्य करना चाहते हैं?
उत्तर - वर्तमान युग में न्याय, सिद्धान्त और अध्यात्म के विद्वानों की परम्परा लुप्तप्रायः होती जा रही है तथा वर्तमान भौतिक वातावरण से धार्मिक संस्कार और सामान्य तत्त्वज्ञान भी जैन समाज से समाप्तप्रायः होता जा रहा है । इस महाविद्यालय एवं विद्यापीठ के माध्यम से हम जैनदर्शन और अध्यात्म के.ऐसे उच्चकोटि के विद्वान तैयार करना चाहते हैं, जो जैनदर्शन की शोधखोज के साथ-साथ प्रचार और प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान कर सकें तथा जो अपना कार्यक्षेत्र आजीवन दिगम्बर जैनसमाज को ही बनाए रखें, जिससे उनकी सेवाओं का पूरा-पूरा लाभ दिगम्बर जैनसमाज व जैनदर्शन को हो सके तथा शिविरों के माध्यम से ऐसे अध्यापक भी तैयार करना चाहते हैं, जो बालकों में जैनतत्त्वज्ञान के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न कर सकें, सामान्य तत्त्वज्ञान