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लौहपुरुष श्री नेमीचंद पाटनी (अभिनन्दन स्मरणिका, ६ फरवरी, १९९२ से)
वृद्धावस्था में भी जवानी के जोश से भरे, वीतरागी तत्वज्ञान के प्रचारप्रसार में सम्पूर्णतः समर्पित, जिन-अध्यात्म के तलस्पर्शी विद्वान, कर्तव्यनिष्ठ कर्मठ कार्यकर्ता एवं गुरुगंभीर व्यक्तित्व के धनी, लौहपुरुष श्री नेमीचंदजी पाटनी से सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज में आज कौन अपरिचित है? आध्यात्मिक सत्पुरुष पूज्य श्री कानजीस्वामी द्वारा संपन्न आध्यात्मिक क्रान्ति को मूल दिगम्बर जैन समाज में प्रवाहित करने के भगीरथी प्रयास के प्रमुख सूत्रधारों में वे भी एक प्रमुख सूत्रधार हैं।
किसी मिशन के संचालन में जिस दूरदृष्टि एवं दृढ़ता की आवश्यकता होती है, वह उनके व्यक्तित्व का प्रमुख अंग है। आध्यात्मिकसत्पुरुष पूज्य श्री कानजीस्वामी के द्वारा उद्घाटित जिनागम के रहस्यों के प्रति अडिग आस्था एवं जिनागम के उन रहस्यों के प्रचार-प्रसार की प्रबल भावना उनके रोमरोम में प्रस्फुटित होती है। उनके जीवन का उत्तरार्द्ध सम्पूर्णत: इसी के लिए समर्पित रहा है।
विगत चौबीस वर्षों से मेरा उनसे अत्यंत निकट का सम्पर्क रहा है। वीतरागी तत्वज्ञान के प्रचार-प्रसार का कार्य हम दोनों इन वर्षों में कंधे से कंधा मिलाकर करते आ रहे हैं। हमारी मित्रता का आधार भी यह विचारों एवं कार्यशैली की समानता ही रही है। इसी कारण यह मित्रता उगते हुए सूर्य के समान निरन्तर प्रगाढ़ता को प्राप्त होती रही है।
इस अपनत्व और अभिन्नता के कारण उनके सन्दर्भ में कुछ भी लिखने में संकोच का अनुभव होता है। उनके सम्बन्ध में कुछ भी लिखते समय ऐसा