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अजातशत्रु पण्डित बाबूभाई चुन्नीलाल मेहता (जैनपथप्रदर्शक के बाबूभाई विशेषांक, अगस्त १९८५ से)
औसत कद और इकहरे बदन पर दूध से शुभ्र खादी के धोती-कुर्ता, ऊपर से खादी की ही सफेद जवाहरकट जाकिट, मस्तक पर चौड़ी दीवाल की नोकदार खादी की सफेद गुजराती टोपी और उसके नीचे गोरा-भूरा तेजस्वी प्रसन्न मुखमण्डल, निमंत्रण देती हुईं स्नेहिल आँखें, उल्लसित हृदय और परायों को भी अपना बना लेनेवाले निश्छल व्यवहार का ही दूसरा नाम है - पण्डित बाबूभाई चुन्नीलाल मेहता, जिसे सम्पूर्ण जैन समाज 'बाबूभाई' नाम से ही जानता है। . ___ अदम्य उत्साह का प्रतीक यह 'बाबूभाई' नाम ही मुमुक्षु भाइयों को उल्लसित करने के लिए पर्याप्त है। न मालूम उनमें ऐसा क्या जादू था कि
प्रत्येक व्यक्ति उनसे अपनत्व अनुभव करता था? . वे अजातशत्रु थे, उनके विचारों से असहमत लोग भी उनकी प्रशंसा करते
थे, उन्हें सन्मान की दृष्टि से देखते थे, उनके व्यवहार और कार्यों की दिल खोलकर सराहना करते थे। ___ वे अध्यात्मप्रेमी थे, आध्यात्मिक प्रवक्ता थे, कुशल कार्यकर्ता थे, सफल नियोजक एवं लोकप्रिय धार्मिक नेता थे। अध्यात्म उनके जीवन में तिल में तेल की भाँति समाया हुआ था। ___ तीर्थों एवं जीवन्त-तीर्थ जिनवाणी के वे परमभक्त थे। उनकी सुरक्षा में वे जीवन भर तन-मन-धन से समर्पित रहे । श्री कुन्दकुन्द-कहान दिगम्बर जैन तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट उनकी तीर्थभक्ति का जीवन्त स्मारक है। .