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सूरज डूब गया
गजट परिवार भी उनके देहावसान पर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हुआ वीर प्रभु से प्रार्थना करता है कि स्वामीजी को पूर्ण रत्नत्रय की प्राप्ति होकर शीघ्र मुक्ति लाभ हो।" ____ और भी अनेक इसप्रकार के उदाहरण प्रस्तुत किये जा सकते हैं। इससे सिद्ध है कि आपकी पहुँच प्रतिकूलों पर भी थी। ___यद्यपि वे चले गए हैं; तथापि उन्होंने अपने जीवन में जो अभूतपूर्व कार्य किये, वे आज भी विद्यमान हैं, उनका दिया हुआ तत्त्व आज भी उनके चेतन शिष्यवर्ग और अचेतन साहित्य के रूप में हमें उपलब्ध है। इस रूप में वे अमर हैं, आज भी हमारे बीच विद्यमान हैं। ___ यद्यपि तारे दिन में भी होते हैं, तथापि सूरज की उपस्थिति में वे चमकते नहीं, दिखाई नहीं देते। पर जब सूरज डूब जाता है, तो वे दिखाई देने लगते हैं। जगत का ध्यान भी तभी उनकी ओर जाता है।
पर क्या वे तारे सूरज-सा प्रकाश दे पाते हैं? नहीं, कदापि नहीं।
यद्यपि यह बात पूर्णत: सत्य है कि वे सूरज-सा आलोक नहीं बिखेर पाते; तथापि यह भी सत्य है कि घना अंधकार भी नहीं होने देते। वे भी कुछ न कुछ आभा बिखेरते ही हैं। उनके प्रकाश में मात्र मार्ग देखे जा सकते हैं, गलियाँ देखी जा सकती हैं, पढ़ा नहीं जा सकता, पढ़ने के लिए दीपक जलाने पड़ते हैं। पर जगत का काम रुकता नहीं, कुछ काम तारों के प्रकाश में होता है, कुछ काम दीपकों के प्रकाश में होता है। काम चलता ही रहता है। हमारा भी कर्त्तव्य है कि काम रुकने न दें, चालू रखें।
सूरज डूब गया। डूब गया, सो डूब ही गया। अब क्या किया जा सकता है? सूरज का उगाना तो तत्काल संभव नहीं है। उसके लिये तो कुछ काल प्रतीक्षा ही करनी होगी; क्योंकि सूरज तो जब उगता है, स्वयं उगता है; उगाने से नहीं उगता। पर प्रतीक्षा में हाथ पर हाथ रखकर तो नहीं बैठा जा सकता। हमें चमकते तारों की प्रभा से मार्गदर्शन प्राप्त करना होगा, घर-घर में दीपक जलाने होंगे और पूरी शक्ति से अंधकार का मुकाबला करना होगा। जो ज्योति गुरुदेवश्री ने जलाई है, उसे जलाये रखना होगा।