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________________ 169 गोली का जवाब गाली से भी नहीं भगवान महावीर की परंपरा के अनुकूल हो, हमारी कुन्दकुन्द की दिगम्बर परम्परा के अनुकूल हो। कल हम इस जिनवाणी को यहाँ से कैसे ले जायेंगे, कहाँ ले जायेंगे। इसके बारे में अभी जल्दी कुछ भी घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है। हम लोग शान्त चित्त से एकबार विचार करेंगे और जब किसी निर्णय पर पहुँचेंगे, तब बतायेंगे कि अपने को क्या करना है। ___ जब आपके हृदय में इतनी गहरी वेदना है, इतना गहरा भाव है, उत्तेजना है तो एक बार एक समय का भोजन छोड़कर णमोकार मंत्र का पाठ करके पहले अपने चित्त को शान्त कीजिए। अशान्त चित्त में लिया गया कोई भी निर्णय आत्मा के हित के लिए तो होता ही नहीं है, समाज के लिए भी उपयोगी नहीं होता है। समाज टूटे नहीं और हमारी आत्मा की साधना, धर्म की साधना, जिनवाणी की आराधना शान्तिपूर्वक चलती रहें - ऐसा कोई मार्ग सोचेंगे। ___ अभी अपनी बुद्धि वाँझ नहीं हुई है कि हम किसी समस्या का समाधान न निकाल सके । इसलिए मेरा आप सबसे अनुरोध है कि अब हम क्या करेंगे और क्या नहीं करेंगे, इसके बारे में कोई घोषणा न करें। पहले तो कम से कम २४ घंटे तक अपने चित्त को शांत करें और फिर शान्तचित्त से निर्णय करें। (श्रोताओं से आवाज - जिनवाणी माता की जय कुन्दकुन्दाचार्य की जय - ३ बार)। अपने लोगों से ही प्रताड़ित होकर यह जिनवाणी माता यहाँ आ गई है; तो अब यह यहाँ ऐसे ही नहीं जावेगी। जिसके हजारों बेटे-बेटियाँ यहाँ बैठे हों, वह अब ऐसे ही कैसे जा सकती है? अब तो यह गाजे-बाजे के साथ । जावेगी, जिनेन्द्र रथयात्रा के समान इसकी यात्रा निकाली जावेगी। और जहाँ भी विराजमान होगी, जिनेन्द्र भगवान के समान ही पूजी जावेगी। (तालियाँ) ___ जब यह हमारे हृदयों में इतनी गहरी विराजमान हैं तो दुनिया की कौनसी ताकत है कि जो इसे हमारे हृदयों में से निकाल सके? आप तो जानते ही हैं कि दर्पण का एक स्वभाव होता है, उसके सामने जो चीज आती है, वह
SR No.009446
Book TitleBikhare Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2001
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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