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सागर प्रशिक्षण शिविर एक विहंगावलोकन ( वीतराग - विज्ञान मई १९८५ में से )
सागर मध्यप्रदेश के उन सौभाग्यशाली सदाचारी नगरों में है, जिसे वर्णीजी का आशीर्वाद और सत्समागम सर्वाधिक प्राप्त रहा है। इस युग को आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने में जो स्थान आध्यात्मिकसत्पुरुष श्री कानजी स्वामी को प्राप्त है, वही स्थान सम्पूर्ण जैन समाज में जैनदर्शन व धर्म के अध्ययनअध्यापन में गुरु गोपालदासजी वरैया एवं वर्णीजी को प्राप्त रहा है।
आज जैनदर्शन के जो भी बुजुर्ग विद्वान दृष्टिगोचर होते हैं, वे सब प्रत्यक्ष या परोक्षरूप में उनके ही शिष्य-प्रशिष्यों में हैं, उनके द्वारा ही तैयार हुए हैं।
उन्होंने उस युग में कार्य आरम्भ किया था, जब समाज में मात्र तत्त्वार्थसूत्र का पाठ कर देनेवाला साधारण व्यक्ति ही बड़ा विद्वान माना जाता था। उन्होंने मात्र प्राकृत और संस्कृत भाषा के विशेषज्ञ एवं जैनदर्शन के पाठी विद्वान ही तैयार नहीं किये, अपितु गाँव-गाँव में पाठशालाएँ खोलकर सामान्यजनों को भी जागृत किया ।
भारत का मध्यक्षेत्र बुन्देलखण्ड भारतीय संस्कृति सभ्यता एवं पुरातत्व की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध क्षेत्र है। जैन संस्कृति के प्राचीनतम केन्द्र इस प्रदेश में देवगढ़ जैसे अनेकानेक कलातीर्थ हैं; जो जैनसंस्कृति की प्राचीनता एवं भूतकालीन अभूतपूर्व समृद्धि को आज भी उजागर कर रहे हैं। सिद्ध क्षेत्र और अतिशय क्षेत्रों की भी यहाँ कमी नहीं है। प्रत्येक दस-बीस किलोमीटर पर किसी न किसी तीर्थ के दर्शन आपको होंगे ही। तीर्थंकरों के स्मारक ये तीर्थ इस भूमि की पवित्रता के जीवन्त प्रमाण हैं ।