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एक अत्यन्त आवश्यक स्पष्टीकरण
121 हों और घर-घर तक पहुँचाई हों - उन्हें और उनके अनुयायियों को प्रच्छन्न श्वेताम्बर कहना कितना हास्यास्पद है?
पूज्य स्वामीजी के हजारों प्रवचन टेप हैं और छप चुके हैं, जिनमें सैकड़ों स्थानों पर लिखा है कि एक दिगम्बर जिनधर्म ही सच्चा है, श्वेताम्बर मत कल्पित है । उन्हें और उनके अनुयायियों को कौन श्वेताम्बर मानेगा? श्वेताम्बर मत को गलत समझकर छोड़ देने वाले एवं जीवन के अन्त तक लगातार ४५ वर्ष तक श्वेताम्बर मत को कल्पित बताने वाले पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामी एवं उनके अनुयायियों को श्वेताम्बर कहना बुद्धि का दिवालियापन नहीं है तो और क्या है?
अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन तीर्थ को हड़पने के लिए वीरसेना गठित करने वाले एवं उसके प्रधान सेनापति बनने वाले श्वेताम्बर मुनि चन्द्रशेखर के अनेक लेख यही 'जैनदर्शन' छाप चुका है; क्योंकि वे लेख पूज्यश्री कानजीस्वामी के विरुद्ध थे। चन्द्रशेखर मुनि पूज्यश्री कानजीस्वामी से इसलिए नाराज थे कि उनके अनुयायियों ने दिगम्बर तीर्थ शिरपुर की रक्षा प्राण की बाजी लगाकर की थी। अब आप ही बतावें कि श्वेताम्बरों का पक्षपाती 'जैनदर्शन' है या कानजीस्वामी के अनुयायी? ___ यह समय इस तरह की बातें करने का नहीं था, पर 'जैनदर्शन' अपनी कुचेष्टा से विराम नहीं लेता है। यही कारण है कि समाज का ध्यान इस ओर आकर्षित करना पड़ा है। यद्यपि पहले भी अनेक बार मनगढन्त झूठी अफवाहें फैलाने के कारण यह समाचार-पत्र समाज में अपनी विश्वसनीयता खो बैठा है। सोनगढ़ के विरुद्ध आचार्यों के आदेश और नई दुनियाँ सम्बन्धी समाचारों की अविश्वसनीयता को अभी समाज भूली नहीं थी कि इसने यह नया शिगूफा छोड़ दिया है।
भगवान बाहुबली सहस्त्राब्दि समारोह, जनमंगल महाकलश और प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरागांधी के विरुद्ध आचार्य श्री धर्मसागरजी के नाम से जो अनर्गल समाचार इस पत्र ने छापे थे, उनके सम्बन्ध में इसके कर्णधार इसी