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________________ 120 बिखरे मोती पूज्य श्री कानजीस्वामी की स्मृति में उसमें ३० प्रतिशत तक कमीशन देकर श्रवणबेलगोला में उपलब्ध कराया है। - सोनगढ़ भी सूना नहीं होगा। वहाँ भी वैसी ही चहल-पहल रहेगी । पण्डित श्री लालचन्दभाई, डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल, पंडित ज्ञानचन्दजी आदि विद्वान वहाँ १ - १ माह रहेंगे। आदरणीय पण्डित श्री बाबूभाई मेहता तो स्वास्थ्य ठीक होने पर अधिकांश समय वहाँ रहेंगे ही। सोनगढ़ में वैसा ही सब कुछ चलेगा। सोनगढ़ और जयपुर कोई दो नहीं हैं, एक ही हैं। सोनगढ़ भी चमकेगा और जयपुर भी चमकेगा। किसी के प्रलाप से समाज भ्रम में न आवे, घर बैठेबैठे ही उल्टा-सीधा न समझ लें । हमारा खुला आमंत्रण है, स्वयं आएं और देखें; फिर निर्णय करें । सोनगढ़ दिगम्बरों का ही है और सदा दिगम्बरों का ही रहेगा और अपनी शांतिपूर्ण आध्यात्मिक तत्त्वप्रचार सम्बन्धी गतिविधियों से समाज में प्रकाश फैलाता रहेगा । सोनगढ़ को श्वेताम्बर कहने वालों को ध्यान रखना चाहिए कि वे सर्वश्रेष्ठ दिगम्बर आचार्य कुन्दकुन्द के परम भक्तों को श्वेताम्बर कहकर एक प्रकार से आचार्य कुन्दकुन्द को ही श्वेताम्बर कहने का महापाप कर रहे हैं । जिस सोनगढ़ में श्वेताम्बरों की सर्वाधिक कटु आलोचना करनेवाले दिगम्बरों के सर्वश्रेष्ठ आचार्य कुन्दकुन्द के पंच परमागमों को संगमरमर में उत्कीर्ण कराया गया हो, उसे श्वेताम्बरी कहने का साहस कौन बुद्धिमान करेगा? जिस ट्रस्ट के रजिस्टर्ड ट्रस्टडीड में साफ-साफ दिगम्बर जैन शब्द लगा हो और जहाँ चार - चार दिगम्बर जिनालय हों और जिनमें अनेक दिगम्बर मूर्तियाँ विराजमान हों एवं जिनकी प्रशस्ति में आचार्य कुन्दकुन्द का नामोल्लेख हो तथा दिगम्बर जैन शब्द का स्पष्ट उल्लेख हो. उसे कौन श्वेताम्बर मानेगा? जिन पूज्य स्वामीजी की प्रेरणा से संचालित प्रकाशन संस्थाओं ने दिगम्बर जैन ग्रन्थों की लगभग चालीस लाख प्रतियाँ गत चालीस वर्षों में प्रकाशित की
SR No.009446
Book TitleBikhare Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2001
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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