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जागृत समाज नहीं पाये। जिस तेरापंथी समाज से तीर्थक्षेत्र कमेटी को लाखों रुपया प्राप्त हुआ है, जिस बुन्देलखण्ड में तेरापंथी समाज ही बसता है; उसकी यात्रा में जगहजगह वे कहते फिरे कि कुन्दकुन्द कहान दिगम्बर जैन तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट में सभी तेरापंथी हैं, वह तेरापंथियों की संस्था है और तीर्थक्षेत्र कमेटी बीसपंथियों
की; आदि न जाने कितनी ऊल-जलूल बातें की। ___ एक तो वे स्वयं इस योग्य थे नहीं, दूसरे कलहप्रिय पण्डितों के बहकावे में आकर समाज को विघटित करने वाली प्रवृत्तियों में सलंग्न हो गये। परिणाम जो हुआ, सो सामने है। समाज के समझदार लोगों को यह एक संकेत है कि जो लोग इन तथाकथित विघटनवादी पण्डितों के चक्कर में आवेंगे, वे समाज का कोई भला नहीं करेंगे; बुरा भी नहीं कर पावेंगे; क्योंकि जागृत समाज बुरा कर पाने के पहिले ही उनसे मुक्त हो जावेगी। ___ तीर्थक्षेत्र कमेटी के चुनाव से दूरगामी परिणाम आने के आसार नजर आने लगे हैं। कलहप्रिय पण्डितों से जुड़े कुछ समझदार लोग यह अनुभव करने लगे हैं कि इनके साथ रहने से हम समाज से कटते जा रहे हैं तथा हम भी समाज में कलहप्रिय लोगों के रूप में बदनाम हो रहे हैं। वे इस प्रयत्न में हैं कि यह हीन स्तर का गाली-गलौज का रास्ता छोड़ सही रूप में समाज में शान्ति स्थापित की जावे।
ऐसे शान्तिप्रिय लोग दिगम्बर जैन महासमिति के माध्यम से भी समाज की सेवा करना चाहते हैं, पर इन तथाकथित पण्डितों ने सामाजिक हित के पवित्र उद्देश्य वाली महासमिति का भी भरपूर विरोध किया तथा उन लोगों को महासमिति में शामिल नहीं होने दिया, इससे भी वे लोग क्षुब्ध हैं। __ लगता है अब इस कलह युग की समाप्ति का समय आ गया है, यह सब किसी महान नेता ने नहीं किया है, वरन् जागृत सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज ने किया, जिसने अनेक उत्तेजना परक लेखों, भाषणों, आदेशों से भी अपनी शान्ति भंग नहीं होने दी। छुट-पुट दो-चार घटनाओं को छोड़कर सर्वत्र शान्ति बनाये रखी और तीर्थक्षेत्र कमेटी के चुनाव के माध्यम से अपनी बात समाज के नेताओं के सामने चुपचाप रख दी। अब देखना है कि समाज से स्वयंभू